1 से 15 अक्टूबर तक अभियान चलाकर प्रखंड मुख्यालयों पर होगा धरना प्रदर्शन
रांचीः ऑनलाइन राज्य कमिटी बैठक में झारखंड की प्रभारी बृंदा कारात भी शामिल हुई. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के किसान और मजदूर विरोधी कदमों का संड़कों पर उतर कर विरोध होगा.
केंद्र सरकार विरोध को दबाने के लिए विपक्ष को डराने की साजिश कर रही है. राज्य में कोरोना महामारी के संक्रमण में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन दूसरी ओर रिकवरी की दर में भी सुधार हुआ है.
राज्य सरकार की पहल पर टेस्टिंग का दायरा बढ़ा है. इसके अलावा निजी टेस्ट लैब में जांच का शुल्क कम करने की घोषणा राज्य सरकार ने की है. लेकिन प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मरीजों से इलाज के नाम पर भारी राशि वसुले जाने का सिलसिला जारी है और राज्य सरकार इस पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो पा रही है.
सरकारी अस्पतालों की भी स्थिति ठीक नहीं है. कोरोना के गंभीर मरीजों को भी बेड नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा दुसरी बीमारी से ग्रस्त लोगों के इलाज में भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है.
सरकार को स्वास्थ्य सेवा और इलाज की सुविधा के सवाल पर ठोस हस्तक्षेप करना चाहिए. कोरोना से बचाव के लिए आम लोगों में जागरूकता अभियान चलाए जाने के प्रति भी सरकार की गंभीरता परिलक्षित नहीं हो रही है.
इसका कारण है कि सरकार अपनी प्रशासनिक मशीनरी के भरोसे ही इससे निपटने में लगी है. बड़ी तादाद में वॉलंटियर रिक्रूट कर उन्हें जागरूकता अभियान में लगाने की कोई ठोस योजना नहीं है.
इस अवधि में ही राज्य विधानसभा का सत्र 18 सितंबर से शुरू होकर 23 सितंबर को संपन्न हुआ. इस सत्र में सरकार ने फ्लोर से 8 विधेयक पारित कराए. सत्र का अंतिम दिन कोरोना पर चर्चा के लिए निर्धारित किए जाने के बावजूद मुख्य विपक्ष भाजपा इस मुद्दे को भी सांप्रदायिक रंग देने के प्रयास में लगी रही.
यह आकलन आज डिजिटल मंच पर हुई. पार्टी की झारखंड राज्य कमिटी की बैठक में आया. राज्य कमिटी ने अन्य ज्वलंत मुद्दों जैसे हाई कोर्ट का निर्णय, जिसमें पिछले दिनों हुई नियुक्तियों को रद्द करने, झारखंड लैंड म्यूटेशन विधेयक, आदिवासी संगठनों द्वारा जनगणना प्रपत्र में उन्हें अलग धर्म के कालम में जोड़ने और कोल इंडिया बोर्ड द्वारा जमीन के बदले नियोजन नहीं देकर केवल मुआवजा देने की घोषणा पर चर्चा की.
राज्य कमिटी ने झारखंड के स्थानीय मुद्दों जिसमें स्वास्थ्य सेवा, खाद्य सुरक्षा और मनरेगा के सवाल पर विचार विमर्श कर एक पखवाड़े तक प्रचार अभियान चलाकर स्वास्थ्य मंत्रालय के गाइड लाइन का पालन करते हुए प्रखंडों पर प्रदर्शन किए जाने का निर्णय लिया गया.