शशिभूषण दूबे कंचनीय,
लखनऊ: उन्नाव 23 अगस्त सड़कें जनपद में मुद्दा बन गईं हैं विश्ववार्ता समाचार ने जिले की टूटी और ध्वस्त हो चुकी है. सड़कों का मुद्दा प्रमुखता से उठाया प्रकाशित किया शोशल मीडिया से लेकर आंचलिक समाचार पत्रों ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई. लेकिन जिला प्रशासन और सड़कों की रखरखाव की जिम्मेदारी उठाने वाले विभागों ने जहमत नहीं उठाई और लोग कीचड़ भरी सड़कों से यात्रा करने के लिये विवश हैं.
पं द्वारका प्रसाद मिश्र के जन्म ग्राम को जाने वाला मार्ग भी जान लेवा गड्ढों में तब्दील.
भारतीय राजनीति में चाणक्य के खिताब से नवाजे गये पं द्वारिका प्रसाद मिश्र के गांव पड़री खुर्द और पड़री कला को जाने वाला 18 किलोमीटर लम्बा मार्ग आज पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर गड्ढों में तब्दील हो गया है जनपद मुख्यालय से यह सीधे पड़री तक जाता है. मार्ग की हालत बदलकर गड्ढों में तब्दील हो गई है. लोग यातना भरी यात्रा करने के लिए मजबूर है. सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को होती है आधा घण्टे का सफर घण्टों का हो जाता है.
सर्पदंश के शिकार और गंभीर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. यह मार्ग शहर के कासिम नगर और अनवार नगर से निकल कर सीधे पड़री जाता है पड़री खुर्द होकर मंगतखेड़ा में पुरवा मौरावां होते हुये लखनऊ और मोहनलाल गंज तथा रायबरेली के खीरों बछरांवा निकल जाता है, जबकि पड़री खुर्द में जन्मे द्वारिका प्रसाद मिश्र और उनके पुत्र ब्रजेश मिश्र आजाद भारत की राजनीति में प्रमुख भूमिका में रहे हैं.
ग्रामीण सड़कों के साथ ही शहरी सड़कें भी बांट रही हैं राहगीरों को दर्द
उंगलियों पर गिने जानी वाली ठीक ठाक सड़कों को छोंड़कर एक सैकड़ा सड़कें बुरी तरह टूटी हुई हैं इस विषय में लोग उदाहरण देते हैं गांव की तरफ कौन देखे जब शहर मुख्यालय की सड़कें टूटी हुई है चाहे छोटे चौराहे से बड़े चौराहे को जाने वाली मुख्य सड़क हो चाहे छोटे चौराहे से लोकनगर होकर उन्नाव – हरदोई मार्ग से मिलने वाली यह सड़क कानपुर और रायबरेली की ओर से आने वाले वाहनों के लिए बाई पास का काम करती है.
सड़कों के गड्ढे देते हैं मौत को दावत बनते हैं दुर्घटना का कारण
अक्सर सड़कों पर बने गड्ढे यात्रा करने वाले वाहनों को एक सीध में कर देते है और दोनों वाहन जल्दी निकलने की होड़ में भिड़ जाते हैं कुछ दिन पूर्व उन्नाव रायबरेली मार्ग पर एक गड्ढे को बचाने के चक्कर मे एक रोडवेज बस और एक टेम्पो में जबरदस्त टक्कर हो गई. टेम्पो के परखच्चे उड़ गए और टेम्पो चालक की घटनास्थल पर दर्दनाक मौत हो गई. गनीमत रही टेम्पो में सवारियां नहीँ थी ऐसे नज़ारे इन सड़कों पर आम होते हैं और प्रतिदिन घटते है.
शोसल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया में छाई हैं टूटी सड़कें
विश्ववार्ता समाचार पत्र द्वारा उन्नाव की टूटी सड़कों का समाचार प्रमुखता से छापे जाने के बाद जनपद के संचार माध्यमों में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है और क्षेत्रीय सम्बाददाता भी अपने छेत्र की खबरें प्रमुखता से छाप रहे हैं इसके अतिरिक्त व्हाट्सएप और फेसबुक पर भी सड़कें मुद्दा बनी हुई हैं.