हज़ारीबाग़ – सीसीएल के हवाले से चंद्रगुप्त ओसीपी परियोजना द्वारा 417 एकड़ भूमि के रिकॉर्ड गायब मामले को भ्रामक बताए जाने को भ्रामक बताए जाने पर शिकायत कर्ता मंटु सोनी ने सीसीएल के उपरोक्त खंडन पर सवाल किया है। कहा है कि सीसीएल शिकायत के तथ्यों को तोड़ मरोड़कर अपना बचाव कर रही है। सीसीएल को निम्नलिखित बिंदुओं पर अपना जवाब देने की अपील का अपील किया है।
1.यह कि उपायुक्त हज़ारीबाग़ के पत्रांक 2350 दिनांक 25/06/2022 को प्रपत्र एक का प्रमाण पत्र निर्गत करते हुए हज़ारीबाग़ पश्चिमी वन प्रमंडल एवं चतरा दक्षिणी वन प्रमंडल पदाधिकारी को 417 एकड़ भूमि की प्रकृति के संबंध में पहले पैरा में लिखा है कि, चंद्रगुप्त कॉल परियोजना के वन भूमि नवीकरण प्रस्ताव हेतु अंचल केरेडारी के मौजा पचड़ा, चट्टी बरियातू बुकरू,सिझुआ एवं जोरदार के भूमि सत्यापन के क्रम में अंचल अधिकारी के द्वारा खतियान के जीर्ण-शीर्ण,फाटे होने के कारण भूमि की प्रकृति का सत्यापन नही होने की बात बताया गया है,यह किसके लिए और क्यों किया गया ?
2.यह कि उपरोक्त प्रमाण पत्र के विषय मे सेंट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड आम्रपाली चंद्रगुप्त क्षेत्र हेतु वन भूमि अपयोजन हेतु प्रपत्र 1 में प्रमाण पत्र निर्गत करना बताया गया है।वहीं सीसीएल के अधिकारी द्वारा उपरोक्त भूमि को वन भूमि से बाहर बताते हुए प्रपत्र 2 के लिए वचनबद्धता जारी किया गया,जिसमें पत्रांक दिनांक और परियोजना प्रस्ताव संख्या अंकित क्यों नही है ?
3.यह कि उपरोक्त प्रमाण पत्र के प्रसंग में परियोजना पदाधिकारी चंद्रगुप्त कोल परियोजना A-C area,रांची का पत्रांक-SO, PP/A-C/2022/54 दिनांक – 16.04.2022 लिखा हुआ है।और उक्त प्रमाण पत्र निर्गत करने की तिथि 25/06/2022 है । मत्तलब करीब दो महीने में ही प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया गया। यह किसके प्रभाव में किया गया ?
4.यह कि उपरोक्त प्रमाण पत्र के पहले पन्ने के लास्ट पैरा में,हस्ताक्षर के ऊपर यह लिखा गया है कि, भूमि के प्रकृति के संबंध में बंदोबस्त कार्यालय हजारीबाग जिला अभिलेखागार हजारीबाग एवं अंचल केदारी से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर पर पत्र वन में प्रमाण पत्र संलग्न कर भेजा जा रहा है । जबकि उपरोक्त कार्यालयों के प्रतिवेदन और उनके द्वारा प्राप्त प्रतिवेदन के पत्रांक, दिनांक का जिक्र किया गया है,इसके पीछे किसकी भूमिका और इसका लाभार्थी कौन है ?
- यह कि उपरोक्त प्रमाण पत्र के दूसरे पन्ने में अंचल केरेडारी के मौजा पचड़ा,चट्टी बरियातू,बुकरू,सिझुआ एवं जोरदार के निम्नांकित भूमि का कैडेस्ट्रॉल सर्वे के पूर्व प्रकाशित अंतिम रिविजनल सर्वे का अभिलेख अथक प्रयासों के पश्चात भी विभिन्न राजस्व अभिलेखागारों अंचलाधिकारी कार्यालय जिला अभिलेखागार बंदोबस्त कार्यालय आदि में उपलब्ध नहीं हो पाया अथवा जीर्ण-शीर्ण / कटे-फटे अवस्था में है तथा अपठनीय है । लिखा हुआ है । लेकिन उपरोक्त रिकॉर्ड उपरोक्त कार्यालयों में कब,कैसे और कहाँ से गायब हुआ,उसके लिए कोई मामला दर्ज नही किया गया और न ही किसी की जिम्मेवारी तय करते हुए विभागीय कार्यवाही किया गया ? इतने बिंदुओं को किसके लिए नजरअंदाज किया गया ?
6.यह कि उपरोक्त प्रमाण पत्र में भूमि का जो विवरण दिया गया है,उसमें मौजा,थाना,प्लॉट और रकवा का डिटेल दिया गया है ,अब यह सवाल है कि उक्त विवरण कहाँ से कैसे प्राप्त हुआ और जब इतना डिटेल उपलब्ध है तो आश्चर्यजनक ढंग खाता नम्बर और भूमि की प्रकृति का विवरण कैसे नही मिला ? यह संयोग है या साजिश ?
7.यह कि उपरोक्त प्रमाण पत्र को जो हज़ारीबाग़ पश्चिमी वन प्रमंडल पदाधिकारी एवं चतरा दक्षिणी वन प्रमंडल पदाधिकारी को प्रेषित किया गया था,उसे उक्त वन प्रमंडल पदाधिकारियों द्वारा भी कोई जांच नही किया गया और उसे वन विभाग झारखंड सरकार को प्रेषित कर दिया गया ? क्या वन विभाग के अधिकारी किसके इशारे पर इस बात की जांच किए बिना प्रस्ताव बढ़ा दिए ? इसका लाभार्थी कौन है ? किसने उन्हें प्रभावित किया ?
- सीसीएल के द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग झारखंड सरकार के विभागीय पत्रांक- 4715 दिनांक 27/11/2018 के आलोक में उपायुक्त हज़ारीबाग़ के द्वारा उनके कार्यालय पत्रांक 2350 दिनांक 25/06/2022 के माध्यम से प्रपत्र 1 प्रमाण पत्र निर्गत करने का दावा किया गया है,जबकि उपायुक्त के द्वारा जारी प्रमाण पत्र में सरकार के उक्त पत्र का जिक्र नही किया गया है। झारखंड सरकार के पत्र के बाद चार साल तक उस पर क्यों नही कार्यवाही हो रही थी और चार साल किसके टेबल में वह फाइल/निर्देश दबा हुआ था ? एमडीओ नियुक्ति के बाद अचानक फाइल कैसे बढ़ने लगा ? किसने अधिकारियों को प्रभावित किया ?
9.जैसे ही मार्च 2022 में एमडीओ सुशी इंफ्रा एंड माइनिंग लिमिटेड को नियुक्त/एकरारनामा किया गया,उसके बाद अप्रैल 2022 में उपायुक्त हज़ारीबाग़ को पत्र लिखा गया और जून 2022 में बिना भूमि की प्रकृति के सत्यापन के प्रपत्र वन का प्रमाण पत्र निर्गत किया गया। जब भूमि की प्रकृति का सत्यापन ही नही हुआ है तो उसका प्रमाण पत्र क्यों और कैसे निर्गत कर दिया गया ? क्या एमडीओ के प्रभाव में निर्गत किया गया ?
10.जब मार्च 2022 में एमडीओ निर्गत हुआ और उसे एक साल में काम चालू कर देना था,जो अब तक नही हुआ है,तो शर्त के अनुसार एमडीओ ने सीसील पर या सीसीएल ने एमडीओ पर कोई कार्रवाई किया या दोनों में अंदरूनी सांठगांठ है विभागीय मैनेज करने के लिए ?
11.भारत सरकार या राज्य सरकार के किस नियम में यह उल्लेखित है कि किसी भी परियोजना को बिना FC/EC क्लियरेंस मिले बिना एमडीओ नियुक्त किया जा सकता है ? और उसके पहले एमडीओ की क्या जरूरत है ?
12.सीसीएल के अधिकारियों द्वारा उपरोक्त परियोजना के बारे में जो लैंड शेड्यूल वन विभाग को दिया गया है,उसमें ओवर राइटिंग और छेड़छाड़ क्यों किया गया है ?
इसके अलावे शिकायत में कहीं नही कहा गया है कि मुआवजा वितरण किया गया है,जबकि यह कहा गया है कि मुआवजा के नाम पर वितरण की तैयारी की जा रही है।