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सीसीएल के चंद्रगुप्त कोल परियोजना से संबंधित 417 एकड़ भूमि के गायब रिकॉर्ड मामले में बाबूलाल ने साधा निशाना

by bnnbharat.com
May 16, 2025
in झारखंड, बड़ी ख़बरें, राष्ट्रीय, समाचार
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सीसीएल जीएम एमडीओ सुशी इंफ्रा के जीएम ने माना सीआईडी का नोटिस मिला है

हज़ारीबाग़ : केरेडारी में सीसीएल की चंद्रगुप्त ओसीपी कोल परियोजना के जमीन अधिग्रहण को लेकर 417 एकड़ वन भूमि का रिकॉर्ड गायब कर दिया गया. जमीन आवंटन में दस्तावेजों में भारी छेड़छाड़ की गयी है. इसकी शिकायत राज्य के डीजीपी समेत भारत सरकार समेत उसके केंद्रीय एजेंसियों सीबीआई, ईडी, सीवीसी और झारखंड सरकार से करने के बाद सीआईडी एक्टिव हो गई है। जानकारी के मुताबिक डीजीपी ने सीआईडी को जांच का जिम्मा दिया था. यह शिकायत हजारीबाग के बड़कागांव निवासी एक्टिविस्ट मंटू सोनी के द्वारा की गई है. सीआईडी ने सीसीएल के जीएम और एमडीओ को नोटिस देकर जवाब मांगा है।
उल्लेखनीय है कि हजारीबाग और चतरा जिला में सीसीएल के चन्द्रगुप्त ओसीपी कोल ब्लॉक परियोजना आवंटित की गयी है. जिसमें हजारीबाग जिला अन्तर्गत केरेडारी अंचल के मौजा पचड़ा चट्टी बरियातु बुकरू सिजुआ और जोरदाग अंतर्गत भूमि का अधिग्रहण किया गया है, जिसके लिये सरकारी कर्मियों (जिला प्रशासन और वन विभाग), सीसीएल के आधिकारियों से मिलीभगत कर षड़यंत्र के तहत करीब 417 एकड़ वन भूमि का दस्तावेज गायब कर अवैध रूप से सरकार से वन भूमि को आवंटित करा कर बतौर एमडीओ (खनन डेवलपर और संचालन) खनन कार्य करने के लिये हैदराबाद की सुशी इंफ्रा एंड माइनिंग लिमिटेड कंपनी को दिया गया है.जिसके लिये अंचल अधिकारी केरेडारी राजस्व अभिलेखागार, जिला अभिलेखागार से इस 417 एकड़ भूमि का रेकर्ड गायब किया गया है, जिसका उल्लेख डीसी हजारीबाग के माध्यम से प्रपत्र-1 (प्रमाण पत्र) के अन्तर्गत निर्गत प्रमाण में में किया गया है.

पूर्व डीसी ने रोका था फाइल, एमडीओ नियुक्त होने के बाद बढ़ने लगी फाइल

प्राप्त जानकारी के मुताबिक उक्त गड़बड़ियों को लेकर जिले के पूर्व डीसी रविशंकर शुक्ला ने फाइल लौटा दिया था। जैसे ही मार्च 2022 में एमडीओ नियुक्त हुए,उसके कुछ महीने बाद फाइल बढ़ने लगा। इसके पीछे एमडीओ का हस्तक्षेप और प्रभाव माना जा रहा है। उपायुक्त कार्यालय द्वारा जारी प्रमाण पत्र में 417 एकड़ भूमि के दस्तावेज के गायब होने के संबंध में अंचल कार्यालय केरेडारी, राजस्व अभिलेखागार, जिला अभिलेखागार और डीसी कार्यालय द्वारा किसी प्रकार से रेकर्ड के गायब होने के संदर्भ में प्राथमिकी, सनहा या अंतरिक जॉच का उल्लेख अपने पत्र में नही किया गया है,.उसके बावजूद बिना जॉच/कार्रवाई किये ही डीसी कार्यालय से प्रपत्र-1 के अन्तर्गत प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया. यह भी बात सामने आई है कि वन विभाग के कार्यालय से भी 417 भूमि से संबंधित जानकारी प्राप्त करने और कागजातों की छान-बीन के संबंध में कोई पत्राचार नही किया गया. जब कि प्रपत्र 1 प्रमाण पत्र डीसी कार्यालय से जारी होने के बाद जब वन विभाग को प्राप्त होने पर वन विभाग द्वारा भी बिना जांच पड़ताल किये भारत सरकार को भूमि आवंटित करने के लिए अनुशंसा कर के भेज दिया गया. जिसके बाद भारत सरकार ने इस भूमि को अधिग्रहण के लिये विमुक्त कर दिया गया. जिसके बाद सीसीएल के द्वारा सुशी इंफ्रा एंड माइनिंग लिमिटेड कंपनी को खनन कार्य करने के लिये आवंटित करा कर दे दिया गया.

दस्तावेजों में भारी छेड़छाड़ और ओवर राइटिंग,किसी ने आपत्ति दर्ज नही किया*

शिकायत में कहा गया है कि साल 2021 में अंचल अधिकारी केरेडारी, मनोज कुमार (चीफ मैनेजर माइनिंग,) चन्द्रगुप्त ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट और संजीव कुमार (मैनेजर) ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट सीसीएल, चन्द्रगुप्त के द्वारा उक्त प्रश्नगत भूमि अधिग्रहण से संबंधित एक सूचि तैयार किया गया, जिसमें पूर्व में डीसी द्वारा जो प्रपत्र 1 प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है,जिसमे भूमि का रेकर्ड उपलब्ध नही होने की बात का उल्लेख था, उससे संबंधित खाता प्लॉट के विवरण में छेड़-छाड़ कर दस्तावेज को तीनो के द्वारा तैयार किया गया. उस दस्तावेज में उसी भूमि में छेड़- छाड़ की गयी है, जिसमें डीसी के द्वारा भूमि का विवरण उपलब्ध नही होने का उल्लेख किया गया है. यह भी उल्लेखनीय है कि प्रपत्र ॥ बचनबद्धता पत्र जो कि मनोज कुमार (मुख्य प्रबंधक माइनिंग) चन्द्रगुप्त ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट आम्रपाली चन्द्रगुप्त क्षेत्र सीसीएल के द्वारा सीसीएल के लेटर पैड पर जारी किया गया, जिसमें ना तो लेटर नंबर और ना ही तिथि अंकित है.परियोजना प्रस्ताव संख्या और वर्ष का स्थान भी खाली है. जिससे स्पष्ट होता है कि उस परियोजना में अवैध रूप से भूमि आवंटन करने के लिए बड़े पैमाने पर पदों का दुरूपयोग करते हुये पड्यंत्र के तहत दस्तावेजो का छेड़-छाड़ कर भूमि आवंटित कराया गया है.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमन्त सोरेन पर हमला बोलते हुए सवाल खड़ा किया है। उन्होंने अपने फेसबुक एवं एक्स पोस्ट में लिखा है

झारखंड सरकार का “ऑपरेशन जंगल लूट” Hemant Soren जी की सरकार ने भ्रष्टाचार की नई मिसाल क़ायम की है — 417 एकड़ वन भूमि के कागज़ात गायब!
417 एकड़ जंगल की ज़मीन का रिकॉर्ड रातों-रात ग़ायब हो जाता है और सरकार “मौन व्रत” में है! हजारीबाग की चंद्रपुरा ओपन कास्ट परियोजना में करोड़ों की ज़मीन का घोटाला सामने आया है।
हेमंत सोरेन जी, सवाल यह है कि आपके राज में अफसरशाही को जंगल बेचने की खुली छूट कैसे मिल गई? रिटायर्ड अफ़सरों की नियुक्ति कर कब तक अपने काले कारनामे छिपाएगी हेमंत सरकार?
दस्तावेज़ों में छेड़छाड़, मूल रजिस्टर से पन्ने फाड़ना और भूस्वामित्व का फर्जीवाड़ा — यह सब कुछ सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के बिना मुमकिन नहीं। CID ने खुद माना है कि वन भूमि की लीज, मुआवज़ा और अधिग्रहण से जुड़े रिकॉर्ड 2021 और 2022 में ही ग़ायब कर दिए गए। लेकिन सवाल यह है कि FIR दर्ज करने में इतनी देर क्यों?
कहीं मुंह छुपाने की वजह यह तो नहीं कि लूट की यह स्क्रिप्ट रांची में ही लिखी गई थी? अचानक से इस ग़ायब ज़मीन को हैदराबाद की एक कंपनी सुशी इंफ्रा एंड माइनिंग को आवंटित कर दिया गया।
क्या वन भूमि देने का फैसला सचिवालय में बैठकर नहीं लिया गया?
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चुप्पी साफ़ बता रही है कि जंगल ही नहीं, सरकार भी बिक चुकी है!

एमडीओ सुशी इंफ्रा को एक साल में काम करना था,अभी तक नही किया

इधर उपरोक्त प्रकरण में संवाददाता के द्वारा सीसीएल के जीएम अमरेश कुमार से पूछने पर उन्होंने बताया कि सीआईडी का नोटिस मुझे अन्य माध्यम से मिला है लेकिन आधिकारिक रूप से मुझे अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है । वही एमडीओ सुशी इन्फ्रा के जीएम आरएस यादव ने स्वीकार किया की सीआईडी का नोटिस मिला है उसका जवाब दिया जाएगा । सीआईडी ने बिना एफसी,ईसी कैसे एमडीओ मिला गया,ये तो सीसीएल से पूछना न चाहिए था ।नियुक्ति एवं उसके शर्तों से संबंधित दस्तावेज का भी मांग किया है । उन्होंने यह भी बताया हमारा एनआईटी में यह लिखा हुआ है कि एक साल के अंदर एफसी/ईसी करवाकर काम चालू करवाना है। हमको सिर्फ उसमें बाहर से हेल्फ़ करना है । अब सवाल यह है कि एमडीओ नियुक्ति हुए तीन साल हो गया तो अब तक काम नही चालू हुआ,एमडीओ के शर्तों के अनुसार एक साल में काम चालू करना था। परंतु शर्त का समय सीमा बीत जाने के बाद भी काम चालू नही होने पर किसी के द्वारा कोई आपत्ति दर्ज नही करवाना भी संदेह को जन्म देता है।

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