दिल्ली: लद्दाख में भारत-चीन के बीच सीमा विवाद के मुद्दे पर गतिरोध जारी है. ऐसे ही समय में पड़ोसी देश नेपाल में भारत विरोधी भावनाओं का उभार देश के लिए अच्छी खबर नहीं है.
सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी मजबूत भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए
भारत-नेपाल संबंधों के विशेषज्ञों का सुझाव है कि दोनों देशों की तरफ से संबंधों को प्रगाढ़ करने की कोशिश की जानी चाहिए. इसके लिए सिर्फ राजनीतिक स्तर पर ही नहीं, सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी मजबूत भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
भारत को अपने करीबी छोटे देशों के प्रति ज्यादा सम्मानजनक और सहयोगी रुख अपनाकर उनका विश्वास जीतने की कोशिश करनी चाहिए, तभी दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाया जा सकेगा.
भारत का पक्ष है बहुत मजबूत
नेपाल में भारत के लंबे समय तक राजदूत रहे रंजीत रे ने कहा कि लिपुलेख और कालापानी विवाद पर भारत का पक्ष बहुत मजबूत है.
भारत-चीन के बीच हुए पंचशील समझौते के समय भी इसे भारत और नेपाल के बीच सीमा रेखा की तरह स्वीकार किया गया था. इसके पहले ईस्ट इंडिया कंपनी और भारत के बीच हुए समझौते के दौरान भी काली नदी को भारत-नेपाल के बीच की लाइन के रूप में स्वीकार किया गया था, इसलिए भारत के दावे को नकारना संभव नहीं होगा.
मुद्दे का समाधान खोजने की कोशिश की जानी चाहिए
लेकिन इसके बाद भी राष्ट्रीय राजनीतिक मजबूरियों के चलते नेपाल का कोई भी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर भारत के रुख का समर्थन करने की हिम्मत नहीं जुटा पायेगा. ऐसे में बेहद सधी बातचीत और आपसी विश्वास बहाली के जरिये ही इस मुद्दे का समाधान खोजने की कोशिश की जानी चाहिए.