दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के एक नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है, जिसमें फैक्ट्रियों को छूट दी गई थी कि वे मजदूरों को ओवरटाइम मजदूरी का भुगतान किए बिना अतिरिक्त काम करा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारन बिगड़ी अर्थवयवस्था श्रमिकों को उचित मजदूरी का अधिकार प्रदान नहीं करने का कारण नहीं हो सकती है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल से लेकर 20 जुलाई तक के ओवरटाइम का भुगतान करने का आदेश दिया है.
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को अभूतपूर्व सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. कानून का उपयोग जीवन के अधिकार के लिए और मजबूर श्रम के खिलाफ अधिकार के खिलाफ नहीं किया जा सकता है.
गुजरात सरकार ने 17 अप्रैल को एक अधिसूचना जारी की थी जो उद्योगों को लॉकडाउन अवधि के दौरान फैक्ट्री अधिनियम के तहत अनिवार्य कुछ शर्तों में छूट दी गई थी.
अधिसूचना में कहा गया है कि गुजरात में श्रमिकों से को 6 घंटे के अंतराल के बाद 30 मिनट के ब्रेक के साथ 12 घंटे काम कराया जा सता है. अधिसूचना में यह भी कहा गया कि ओवरटाइम काम के लिए सामान्य मजदूरी का भुगतान किया जा सकता है.
अधिसूचना फैक्ट्रीज अधिनियम की धारा 5 के तहत जारी की गई थी, जो सरकार को सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में फैक्ट्री अधिनियम के दायरे से कारखानों को छूट देने की अनुमति देती है.