रांची: प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह राज्य के विषयों से भाग रही है. अपने कार्यकाल की बात नहीं करती है. कांग्रेस शासन की चर्चा करती है. यह भाजपा के केंद्र और राज्य सरकार की विफलता और निकम्मेपन को दर्शाता है. भाजपा के नेता भी जनता के सामने झूठ का पुलिंदा पेश कर रहे हैं. शुक्रवार को संवाददाताओं से बात करते हुए पार्टी की मीडिया टीम ने उक्त बातें कहीं. टीम ने रघुवर सरकार के कार्यकाल पर सवाल उठाये. मुख्यामंत्री से पांच सवाल किए. इस अवसर पर शमशेर आलम, लाल किशोर नाथ शाहदेव, राजीव रंजन, डॉ राजेश गुप्ता , आलोक दुबे मौजूद थे.
शाहदेव ने कहा कि बीते दो दिनों में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, नीतीन गडकरी ने चुनावी सभा की. उन्होंने राज्य में उग्रवाद समाप्त होने का जिक्र किया. इसके लिए रघुवर सरकार की पीठ थपथपाई. हालांकि मुख्य चुनाव आयुक्त स्पष्ट कर दिया कि राज्य के 67 विधानसभा क्षेत्र उग्रवाद प्रभावित हैं. इसलिए चुनाव पांच चरणों में कराये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे भाजपा के नेता केंद्र और राज्य सरकार के पांच वर्षों के कार्यकाल की चर्चा नहीं करते हैं. कांग्रेस के 67 साल के शासनकाल के बारे में बातें करते हैं. पांच सालों के कार्यकाल में केंद्र और राज्य सरकार ने कोई काम नहीं किये. यही कारण है कि अपने कार्यों की जगह कांग्रेस के शासन की बातें करते हैं.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए कई काम किये. जल, जंगल, जमीन की रक्षा की. वनाधिकारी और पैसा कानून लाया. भाजपा ने सीएनटी-एसपीटी कानून में छेड़छाड़ करने की कोशिश की. कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के विरोध के बाद राज्यपाल ने इसे अस्वीकृत कर दिया. इसके बाद भी भाजपा पिछले दरवाजे से उसमें छेड़छाड़ करने में लगी रही. भ्रष्टाचार के खिलाफ उठी आवाज पर रघुवर सरकार ने न जांच की और न ही कार्रवाई की. इसके बाद भी केंद्रीय नेतृत्व रघुवर सरकार को बेदाग होने का सर्टिफिकेट दे रहा है.
ये सवाल पूछे
- राज्य में पूंजी निवेश लाने के नाम पर 900 करोड़ रुपये खर्च किये गये. कितने उद्योग, कल, कारखाने लगे. झारखंड के लोगों को कितना लाभ हुआ.
- 2200 करोड़ रुपये का बांध उद्घाटन के साथ ही कैसे बह गया. बचने के लिए चूहे को जिम्मेवार माना गया.
- एक अक्टूबर 2019 को जेपीएससी घोटाले में जवाब दाखिल हुआ. इसपर बात करें.
- क्यों कंबल घोटाले के अभियुक्त को बचाया गया. उसपर कार्रवाई नहीं की गई.
- धान खरीद के नाम पर घोटाले हुए. 48 से अधिक मुकदमें विभिन्न थानों में दर्ज हैं.