नई दिल्ली: अपने करियर की शुरुआत में विराट कोहली को वनडे क्रिकेट का विशेषज्ञ माना जाता था. शुरुआती दौर में वह टेस्ट क्रिकेट में संघर्ष करते दिखाई पड़ते थे. वेस्टइंडीज की पहली सीरीज के बाद उन्हें टेस्ट टीम से ड्रॉप कर दिया गया था.
इसके बाद टीम में उनकी वापसी हुई, लेकिन अधिकांश समय वह बेंच पर ही बैठे रहे. इसके बाद महेंद्र सिंह धोनी के समर्थन से उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चारों टेस्ट खेलने का मौका मिला, तब वह पहले ऐसे बल्लेबाज बने, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया में शतक लगाया.
2014 में इंग्लैंड दौरे पर सबका ध्यान उन पर था, लेकिन वह असफल रहे. 2014 में इंग्लैंड दौरे पर असफल होने पर उन्हें धोनी का सपोर्ट मिला था. इस पर गौतम गंभीर का कहना है कि विराट के करियर को संवारने और उन्हें बैक देने के लिए धोनी को क्रेडिट दिया जाना चाहिए.
2014 के दौरे पर दाएं हाथ के बल्लेबाज विराट कोहली इंग्लैंड के पेसरों के सामने संघर्ष करते दिखाई दिए. 10 पारियों में वह केवल 134 रन बना पाए. जेम्स एंडरसन ने उन्हें इस दौरान चार बार आउट किया.
लीजेंडरी भारतीय क्रिकेटर वीवीएस लक्षमण याद करते हैं कि कैसे उस दौरे के बाद कोहली ने बाउंस बैक किया और अगले इंग्लैंड दौरे पर अपनी शैली में बदलाव किया.
लक्ष्मण ने स्टार स्पोर्ट्स के शो ‘क्रिकेट कनेक्टेड’ पर कहा, ”जब विराट ने दोबारा इंग्लैंड का दौरा किया तो उन्होंने बर्मिंघम में पहली ही पारी में शतक लगाया.
विराट की वह पारी मेरी पसंदीदा है. पहली पारी से ही उन्होंने यह दिखाया कि कैसे वर्ल्ड क्रिकेट का यह नया सुपर स्टार तैयार हो रहा है.”
वहीं, पूर्व भारतीय बल्लेबाज गौतम गंभीर का मानना है कि यदि धोनी उनका समर्थन नहीं करते तो विराट कोहली का करियर वहीं समाप्त हो जाता, लेकिन कोहली को एक और मौका मिल गया.
गंभीर ने कहा, ”मैं लक्ष्मण भाई से पूरी तरह सहमत हूं. 2014 की सीरीज में मैं भी टीम का हिस्सा था. उस सीरीज के बाद धोनी को इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए, अन्यथा टेस्ट क्रिकेट में कई खिलाड़ियों के करियर का अंत हो जाता.”