सरायकेला: कोरोना काल के दौरान हुए लॉकडाउन खासा प्रभाव डाला है. कई लोगों ने तो रोजगार के अवसर छीन जाने पर खुदकुशी कर ली तो कई अवसाद से इस कदर ग्रसित हुए कि उन्हें मानसिक बीमारी ने जकड़ लिया है. लॉकडाउन के बीच रोजी रोजगार बंद होने से परेशान सरायकेला के एक युवक की मानसिक हालत काफी खराब हो गयी है. वहीं बूढ़े मां-बाप अपने इकलौते बेटे की बीमारी से काफी परेशान हैं. लेकिन पैसों की कमी के कारण बेटे का इलाज नहीं करवा पा रहे हैं.
पूरा मामला सरायकेला जिला के राजनगर प्रखंड अंतर्गत मुड़िया पारा गांव का है, जहां के हेमंत मोदक कुमार इस अजीबो-गरीब बीमारी से जूझ रहे हैं. हेमंत की राजनगर के साहु कालोनी में इलेक्ट्रॉनिक्स की छोटी सी दुकान थी. जहां वह कुछ सामानों को बेचता था तथा रिपेयरिंग का भी काम करता था, जिससे उसका घर चलता था. लेकिन अचानक आयी कोरोना महामारी के चलते उसकी दुकान बंद हो गई और उसका परिवार आर्थिक संकटों से घिर गया. भविष्य व घर चलाने की चिंता ने हेमंत के दिलोदिमाग में ऐसा असर किया कि उसे मानसिक बीमारी हो गई.
करीब दो महीना पहले से ही हेमंत की मानसिक हालत धीरे-धीरे बिगड़ने लगी. पहले वह असामान्य हरकतें करता था. पर अब उसे खड़े रहने की बीमारी हो गयी है. वह मूर्ति की तरह एक ही स्थान पर घंटों खड़ा रहता है. उसे धूप, पानी का भी अहसास नहीं होता है. वह खाना पीना भी ठीक से नहीं कर रहा है. लगातार खड़ा रहने के कारण उसके पैर फूल गये हैं. स्थानीय लोगों ने उसका इलाज कराने की कोशिश की, मगर कोई फायदा नहीं हुआ. अब अपने इकलौते पुत्र की यह स्थिति देख बूढ़े मां-बाप काफी दुखी व चिंतित हैं. उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे अपने बेटे का इलाज करवा सकें.