दिल्ली-एनसीआर में बुधवार की सुबह हल्की बारिश ने यहां के मौसम को खुशगवार बना दिया। सावन के पहले दिन हुई रिमझिम बारिश की वजह से मौसम के तापमान में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि इस दौरान सुबह ऑफिस जाने वाले कुछ लोगों को थोड़ी बहुत परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। इंडिया गेट, प्रगति मैदान और अन्य कुछ स्थानों पर भारी बारिश हुई।
इससे पहले मंगलवार को भी बारिश के बाद पारा गिरने से मौसम खुशनुमा रहा। मंगलवार को न्यूनतम तापमान मौसम के सामान्य औसत से तीन डिग्री कम 24 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि सोमवार को न्यूनतम तापमान 26.6 और अधिकतम तापमान 34.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर व मधुबनी में बाढ़ से बढ़ी तबाही
उत्तर बिहार में मंगलवार को सैकड़ों नए गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया। सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर व मधुबनी में बाढ़ से तबाही बढ़ गई। नदियों में उफान से बाढ़ पीड़ितों की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है। मधुबनी और दरभंगा में दो जगहों पर तटबंध टूट गया। कोसी और सीमांचल के जिलों में बाढ़ की स्थिति खतरनाक बनी हुई है। उधर, विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि नेपाल के तराई क्षंत्र में पिछले वर्षों की तुलना में इस बार अधिक बारिश हुई है। इसके कारण नेपाल से निकलने वाली नदियों में अधिक पानी आने से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। वर्ष 2017 की तरह फ्लैश फ्लड की स्थिति बनी। अचानक आए अधिक पानी से मंगलवार की सुबह दस बजे तक बिहार के 12 जिले- शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, अररिया, किशनगंज, सुपौल, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सहरसा, कटिहार और पूर्णिया के 78 प्रखंडों की 555 पंचायतों की 25,71,600 की आबादी प्रभावित हुई है।
बलरामपुर में 350 गांव घिरे, श्रावस्ती भी बेहाल
बलरामपुर, श्रावस्ती में राप्ती ने भारी तबाही मचाई है। श्रावस्ती में बाढ़ उतर गई है लेकिन सड़क बहने से जमुनहा तहसील से जिला मुख्यालय का संपर्क कट गया है। बलरामपुर में राप्ती अब भी 35 सेमी. ऊपर है। यहां लगभग 350 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हैं। बहराइच में चार मकान सरयू में समा गए। बलरामपुर जिले में राप्ती की बाढ़ में कई गांवों में लोगों का सामान पानी में बह गया। बाढ़ पीडि़त ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। श्रावस्ती जिले में जमुनहा तहसील को जोड़ने वाली भंगहा मोड़ मल्हीपुर सड़क मजगवां और बनघुसरा के पास आधी कट गई है तो नगईपुरवा के पास करीब 200 मीटर सड़क पूरी तरह से बह गई है।
उत्तराखंड में फिर से कमजोर हुआ मानसून
उत्तराखंड में मानसून आने के बाद भी पानी उतना नहीं बरसा, जितना राज्य को खुशहाल करने के लिए चाहिए। 24 जून से मानसून की आमद हुई, जो माह के अंत तक कमजोर रहा। इसके बाद जुलाई में मानसून ने रफ्तार पकड़ी तो अब 17 जुलाई से फिर मानसून कमजोर होने जा रहा है। प्रदेश में अब तक मानसून 163 एमएम ही बरसा है। जबकि सामान्य तौर पर 290.7 एमएम बारिश होनी चाहिए थी। इस बार अभी तक मानसून माइनस 44 प्रतिशत पीछे चल रहा है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, पर्वतीय जिलों में अभी तक भारी बारिश नहीं हुई है। जो भारी बारिश हुई है, वो मैदानी जिलों और उससे लगते पर्वतीय जिलों (टिहरी, पौड़ी और नैनीताल) में हुई है। हालांकि यहां का औसत भी पिछले सालों के मुकाबले कम है।