रांची: निर्वाचन आयोग ने सुगम मतदान सुनिश्चित करने एवं दिव्यांगजनों का चुनावी प्रक्रिया में समावेश के लिए सघन अभियान चलाया था. जागरूकता, प्रशिक्षण विशेष व्यवस्था सहित यातायात सुविधा भी उपलब्ध कराया गया था. इससे ना केवल दिव्यांगजनों का नागरिक अधिकार सुनिश्चित हुआ अपितु समावेश की राह भी सशक्त हुई. परंतु इन सभी प्रयासों के बावजूद अनेक दिव्यांगजन झारखंड विधानसभा चुनाव में मतदान करने से वंचित रह गए. रामगढ़ के बूथ नंबर 50, नायक टोली, मोरमकलां में दिव्यांगजन अमित कुमार राय मतदान हेतु मतदान केंद्र पहुंचा परंतु सहयोग ना मिलने के कारण वह वोट नहीं दे पाया.
अमित की मां ने बताया के उसके दो दिव्यांग बेटे हैंलसागर और अमित. निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान के दिन ऑटो से उन्हें मतदान केंद्र आने की सुविधा प्रदान की गई. वहां मतदान करने के लिए एक सहयोगी की आवश्यकता बताई गई. चुकी उनकी माता का मतदान केंद्र भिन्न था व सहयोगी नहीं बन पाई. काफी अनुरोध के बावजूद वहां उपस्थित अन्य मतदाताओं ने भी सहयोगी बनने से इंकार कर दिया. नियमानुसार बीएलओ सिर्फ एक बच्चे का सहयोगी बन पाए. इस तरह सागर ने तो अपना पहला वोट दे दिया लेकिन अमित मतदान से वंचित रह गया.
राष्ट्रीय विकलांग मंच के महासचिव अरुण कुमार सिंह ने पूरा वाक्या मुख्य निर्वाचन आयुक्त के संज्ञान में लाया है. उन्होंने मांग की है की पूरी प्रक्रिया की जांच और सुधार के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाया जाए ताकि आगामी चुनाव में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके और किसी भी परिस्थिति में दिव्यांग मतदाता मतदान केंद्र से वापस ना लौटें. झारखंड विकलांग जन फोरम ने भी उनकी इस मांग का समर्थन किया है.