रांची: विधानसभा चुनाव 2019 के पांचवें चरण में संथाल परगना की 16 विधानसभा सीटों पर 20 दिसंबर को मतदान होना है. इसमें 40,05,287 मतदाता 236 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे.
चुनाव भले ही 16 सीटों पर हो रहा है, लेकिन लोगों की नजर कुछ खास सीटों पर ही रहेगी. इसकी वजह यहां से किसी न किसी हैवीवेट कंडीडेट का मैदान में खड़ा होना है.
आइए एक नजर डालें ऐसी सीटों पर-
दुमका
इस सीट से दो कद्दावर नेता चुनाव मैदान में हैं. भाजपा से वर्तमान मंत्री डॉ लुईस मरांडी और झामुमो से पूर्व मुख्य मंत्री एवं पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन खड़े हैं. दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.
यहां से कुल प्रत्याशी 13 चुनाव मैदान में हैं. डॉ मरांडी और हेमंत के खड़े होने से इस सीट पर सबकी नजर रहेगी. झाविमो से अजुला मुर्मू और लोजपा से मोहरील मुर्मू भी चुनाव लड़ रहे हैं.
बरहेट
राज्य के पूर्व मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन के खड़े होने से इस सीट पर नजर रहेगी. पिछली बार भी वे यहां से जीते थे. उनके लिए यह सीट सुरक्षित मानी जाती है.
इस सीट से 12 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. भाजपा ने सिमोन मालतो, झाविमो ने होपना टुडू और आजसू ने गमालियल हेंब्रम को टिकट दिया है. हेमंत को हारने के लिए हर दल कमर कसे हुए हैं.
पाकुड़
इस सीट से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलमगीर आलम चुनाव लड़ रहे हैं. सीट से 11 उम्मीदवार मैदान में खड़े हैं. भाजपा ने बेनी प्रसाद गुप्ता, आजसू ने अकील अख्तर और झाविमो ने कमरुद्दीन अंसारी को टिकट दिया है. यह मुस्लिम बहुल है.
भाजपा को उम्मीद है कि हर दल से मुस्लिम प्रत्याशी के खड़े होने का लाभ उन्हें होगा. आलमगीर आलम चार बार विधायक रह चुके हैं.
जामा
शिबू सोरेन परिवार की बहू सीता सोरेन यहां से झामुमो की टिकट पर चुनाव लड़ रही है. इस सीट से 15 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
भाजपा से सुरेश मुर्मू, झाविमो से अर्जुन मरांडी और आजसू से डॉ स्टेफी तेरेसा मुर्मू भी उम्मीदवार है. डॉ स्टेफी पिछले दिनों चर्चा में थी. उन्होंने अपने ही पीए के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज कराया था. सीता पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं.
बोरियो
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और बागी विधायक ताला मरांडी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार वे आजसू के प्रत्याशी हैं.
भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पार्टी बदला इस सीट से 12 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. झामुमो से लोबिन हेंब्रम, भाजपा से सूर्यनारायण हांसदा और बसपा से लखना पहाड़िया भी मैदान में हैं. भाजपा के लिए इस सीट को बचाए रखना चुनौती है.
महेशपुर
झामुमो के कद्दावर नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ स्टीफन मरांडी यहां से खड़े हैं. यहां से कोई एक चेहरा दोबारा विधायक नहीं बन पाया है.
अब देखना दिलचस्प होगा कि डॉ मरांडी इस मित्थ को तोड़ पाते हैं या नहीं. बहरहाल, इस सीट से 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. भाजपा से मिस्त्री सोरेन, आजसू से सुफल मरांडी और झाविमो से शिवधन हेंब्रम भी चुनाव लड़ रहे हैं.
नाला
यहां से भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रहे प्रवीण प्रभाकर बागी उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे हैं. वे एनपीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
भाजपा ने पूर्व कृषि मंत्री सत्याानंद झा बाटुल को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट से कुल प्रत्याशी 16 मैदान में हैं.
झामुमो से रवींद्रनाथ महतो, झाविमो से माधवचंद्र महतो, सीपीआई से कन्हाईमाल पहाड़िया भी जोर लगा रहे हैं.
पोड़ैयाहाट
यह झाविमो के प्रदीप यादव का परंपरागत सीट माना जाता है. भाजपा और झाविमो में रहते हुए लगातार वे इस सीट से जीतते आये हैं. वे पिछले चार टर्म से विधायक हैं. इस बार आठ प्रत्याशी उन्हें चुनाव में चुनौती देने उतरे हैं.
इसमें भाजपा के गजाधर सिंह, झामुमो के अशोक चौधरी और निर्दलीय सिमोन मरांडी भी हैं. इस सीट से भाजपा ने प्रत्याशी भी बदला है.
शिकारीपाड़ा
इस सीट से पूर्व कृषि मंत्री नलिन सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं. वे झामुमो की टिकट से खड़े हैं. नलिन यहां से छह बार विधायक चुने गये है. इस सीट से कुल प्रत्याशी 13 मैदान में खड़े हैं.
भाजपा ने यहां से परितोष सोरेन को उतारा है. जदयू से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू खुद खड़े हैं. झाविमो ने राजेश मुर्मू को मैदान में उतारा है. आजसू ने भाजपा से ही बगावत करने वाले श्याम मरांडी को उतार दिया है.
सारठ
इस विधानसभा से वर्तमान कृषि मंत्री और झाविमो से चुनाव जीतकर आये रणधीर सिंह भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं.
यहां से 21 उम्मीेदवार चुनाव लड़ रहे हैं. झाविमो से उदय शंकर सिंह, झामुमो से परिमल सिंह, निर्दलीय पिंकी कुमारी मैदान में हैं. इस बार झामुमो ने पुराने नेता को छोड़ नये पर दांव लगाया है.