रांचीः झारखंड सरकार के त्रिपक्षीय समझौते से हटने के बाद भी आरबीआई खाते से 714 करोड़ रुपए काट लिए गए हैं. जबकि कैबिनेट की बैठक में त्रिपक्षीय समझौते से राज्य सरकार ने हटने का निर्णय ले लिया था.
इसकी जानकारी भी आरबीआई को दे दी गई थी, बावजूद इसके राशि काट ली गई. ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार, झारखंड सरकार और आरबीआई के बीच 27 अप्रैल 2017 को त्रिपक्षीय समझौता हुआ था.
यह समझौता केंद्रीय उपक्रमों जैसे बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को पेंमेंट गैरंटी के लिए किया गया था. इसके तहत दिए गए बिल की तारीख से 60 दिन या रिसिप्ट देने के 45 दिन में भुगतान नहीं किया गया तो केंद्र सरकार के अंतर्गत ऊर्जा मंत्रालय वसूली के लिए राज्य सरकार के आरबीआई खाते से पैसे काटने के लिए आरबीआई को डीओ लेटर जारी कर सकेगा.
समझौते की शर्तों के तहत पहली किस्त बीते वर्ष अक्तूबर 2020 में 1417.50 करोड़ रुपये काटी गई. इसके बाद झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) की ओर से बकाया भुगतान नहीं किए जाने पर दूसरी किस्त काटने के लिए 20 दिसंबर को नोटिस दिया गया था.
पत्र में कहा गया है कि डीवीसी बिजली की आपूर्ति जेबीवीएनएल को करता है. यह आपूर्ति 2015 और 2017 में दोनों के बीच हुए बिजली खरीद समझौते के तहत की जाती है. लेकिन जेबीवीएनएल खरीदी गई बिजली का नियमित भुगतान नहीं कर रहा. इस कारण 30 नवंबर 2020 तक जेबीवीएनएल पर डीवीसी का 4949.56 करोड़ रुपये कुल बकाया हो गया है.
झारखंड सरकार अवविवादित 3558.68 करोड़ रुपये का भुगतान करने पर सहमत है. अक्तूबर 2020 में बकाया किस्त 1417.50 करोड़ रुपये काटा जा चुका है. शेष 2114.18 करोड़ रुपये बकाया को 714 करोड़ की तीन किस्तों में वसूला जाएगा. शेष राशि डीवीसी की ओर से बकाया का आकलन करने के बाद समाहित की जाएगी.