रांची: सामान्य सामाजिक एवं आर्थिक प्रक्षेत्रों के लिए 31 मार्च 2018 को समाप्त हुए वर्ष पुलिस आधुनिकीकरण के लिए वर्ष 2013-18 के दौरान 52.25 करोड़ का राज्यांश जारी नहीं करने तथा 4.22 करोड़ का केंद्रांश का उपयोग नहीं करने, धीमी उपयोगिता के कारण 21.31करोड़ के केंद्रीय अनुदान के नुकसान, आधुनिक हथियारों की कमी में 28 प्रतिशत से 32 प्रतिशत की वृद्धि, पुलिस बटालियन में बीपी जैकेट की कमी से अभियान में हताहत होने का खतरा, बारूदी सुरंग के जोखिम के पुलिस वाहनों के लिए मानक लागू नहीं करने, संचार उपकरणों में 37 से 71प्रतिशत की कमी, आतंकवाद निरोधक प्रशिक्षण के लिए वैसे पुलिसकर्मियों का चयन करने, जो निर्धारित आयु सीमा से अधिक थे और इनमें से 35पुलिसकर्मी के अंतिम जांच परीक्षा में पास नहीं करने, जिला, क्षेत्र तथा राज्य स्तर पर फॉरेंसिंग व्यवस्था में मानकों के अनुरूप नहीं रहने, पुलिसकर्मियों के लिए आवासीय सुविधा का अभाव और नक्सली खतरे को रोकने के लिए केंद्रीय बलों पर निर्भरता को कम नहीं किया जा सका.
बजट तैयार करने के उपक्रम को तर्कसंगत बनाने का सुझाव
राज्य वित्त लेखा परीक्षा प्रतिवेदन 2017-18 में यह अनुशंसा की गयी है कि वित्त विभाग को बजट तैयार करने के उपक्रम को तर्कसंगत बनाना चाहिए, ताकि बजट अनुमान और वास्तविक के बीच की खाई को पाटा जा सके. रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रम सेस के रूप में 393.67 करोड़ संग्रहित किया गया, लेकिन श्रमिक कल्याण बोर्ड नहीं रहने से राशि खर्च नहीं हो सकी. यह भी बताया गया है कि लोक निर्माण विभाग की 113 अपूर्ण परियोजनाओं में 1402 करोड़ का व्यय किया गया, लेकिन काम पूरा नहीं होने से राज्य को अपेक्षित लाभ नहीं मिल सका.