रांची: नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के वरिष्ठ नेता प्रवीण प्रभाकर ने उन्हें भाजपा से निष्कासित करने की घोषणा को हास्यास्पद करार दिया है. उन्होंने कहा कि वह एनपीपी में शामिल होने के पूर्व ही 29 नवम्बर को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और पद से त्यागपत्र भाजपा कार्यालय भेज चुके हैं, इसलिए उन्हें निष्कासित करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है.
प्रभाकर ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर पूर्वोत्तर भारत में विरोध हो रहा है. ऐसे नाजुक वक्त में एनपीपी ने संसद के भीतर और बाहर नरेंद्र मोदी सरकार का साथ दिया है. एनपीपी इस मुद्दे पर देश की मुख्यधारा के साथ देने वाला पूर्वोत्तर भारत का एकमात्र दल है. ऐसे माहौल में प्रदेश भाजपा ने एनपीपी के नेता को बिना वजह अपमानित कर राजनीतिक हड़बड़ी का परिचय दिया है. प्रभाकर ने कहा कि उन्हें निष्कासित करने की बजाय उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता तो उन्हें खुशी होती.
उन्होंने कहा कि भाजपा में उन्होंने बहुत कुछ सीखा है और सम्मान भी पाया है. इसके लिए वह सभी वरिष्ठ नेताओं का आभार मानते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें निष्कासित करने में समय बर्बाद करने से पहले उनके इस्तीफा पत्र के संबंध में जानकारी सार्वजनिक की जाती तो ज्यादा बेहतर होता.