देवघर: महिला दिवस को लेकर उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी नैंसी सहाय ने अपन संदेश में कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है. संस्कृत में एक श्लोक है- श्यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवतारू. अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं. हम जानते है महिलाओं का समाज निर्माण में बहुत बड़ा योगदान होता है, महिलाओं को सशक्त व स्वाबलंबी बनाना हम सभी की जिम्मेदारी है.
आज हम सभी देख रहे है, महिलाए आज हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बन रही है. हमे यह स्वीकार करना होगा कि घर और समाज की बेहतरी के लिए पुरूष और महिला दोनोें समान रूप से योगदान करते हैं. हर महिला विशेष होती है चाहे व घर पर हो या कार्यालय में. आज महिलाएं अपने आस-पास की दुनियां में बदलाव ला रही है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि बच्चों की परवरिश और घर को घर बनाने में एक प्रमुख भूमिका भी निभाती है. यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम उस महिला की सराहना करें और उनका सम्मान करें जो अपने जीवन में सफलता हासिल कर रही है.
वर्तमान युग को नारी उत्थान का युग कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, आज हमारे देश भारत की महिलाएं हर क्षेत्र में अपना पताका फेहरा रही है, मौजूदा सरकारें भी महिलाओं को हर क्षेत्र में अपना भविष्य निर्माण करने का अवसर उपलब्ध करा रही हैं, जो महिलाओं के विकास के लिए रामबाण साबित हो रहा है.
वर्तमान में पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली नारी किसी पर भार नहीं बनती वरन अन्य साथियों को सहारा देकर प्रसन्न होती है, यदि हम सभी विदेशी भाषा एवं पोशाक को अपनाने में गर्व महसूस करते हैं तो क्या ऐसा नहीं हो सकता कि उनके व्यवहार में आने वाले सामाजिक न्याय की नीति को अपनाएं और कम से कम अपने घर में नारी की स्थिति सुविधाजनक एवं सम्मानजनक बनाने में भी पीछे ना रहे.