BNN डेस्क: आषाढ़ मास की पूर्णिमा को हर साल गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन लोग अपने गुरुओं की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं. 5 जुलाई को साल 2020 का तीसरा चंद्र ग्रहण भी लगा . हालांकि, इस बार लगने वाला चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2020) भारत में दिखाई नहीं देगा, जिस वजह से न ही देश में सूतक लगा और न ही गुरु पूर्णिमा पर इसका कोई प्रभाव पड़ा.
इससे पहले साल 2018 और 2019 में भी गुरु पूर्णिमा के ही दिन चंद्र ग्रहण लग चुका है. आपको बता दें कि साल 2018 में 27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण रहा था. इसके बाद साल 2019 में भी 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण लगा था. बता दें, इस साल गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहुर्त एक दिन पहले यानी कि 4 जुलाई 2020 की सुबह 11 बजकर 33 मिनट से शुरू हुआ, जो 5 जुलाई की सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा.
माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही महाभारत ग्रंथ के रचियता महर्षि व्यास का जन्म हुआ था. हिंदू धर्म में 18 पुराणों का जिक्र है और इन सबके रचियता महर्षि वेदव्यास हैं. इस वजह से गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.
गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु में क्यों मनाई जाती है
हर साल वर्षा ऋतु में ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है. माना जाता है कि मानसून के दौराना मौसम सुहाना रहता है और इस समय न ही अधिक गर्मी होती और न ही सर्दी होती है. ऐसे में यह वक्त अध्ययन और अध्यापन के लिए अनुकूल रहता है.
ग्रहण की स्थिति क्या रहेगी
दरअसल, चंद्र ग्रहण का समय सुबह 8 बजकर 37 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 22 मिनट तक रहा. इस वजह से यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिया. हालांकि, साल का तीसरा चंद्र ग्रहण अमेरिका, यूरोप, अंटार्टिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में देखा गया .