रांचीः बड़कागांव के पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री योगेंद्र साव का पुलिस-प्रशासन पर लगाया गया मारपीट व जानबूझकर लाठीचार्ज किए जाने का आरोप निराधार हो सकता है. सूत्रों के अनुसार राजभवन के आदेश पर पूरे मामले की जांच रिपोर्ट की समीक्षा की जा चुकी है. इस मामले में राज्य सरकार की गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने राजभवन को रिपोर्ट सौंप दी है.
मारपीट व लाठीचार्ज का यह मामला 2012 से संबंधित है. पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के आवेदन पर राज्यपाल सचिवालय ने प्रत्येक आरोपों की जांच का आदेश दिया था. इस मामले में हजारीबाग के आयुक्त ने जांच कर अपनी रिपोर्ट दी थी. इसपर हजारीबाग के तत्कालीन एसपी पंकज कंबोज (वर्तमान में डीआइजी हजारीबाग) से भी उनकी प्रतिक्रिया की मांग की गई थी.
इसके बाद गृह विभाग ने योगेंद्र साव की शिकायत, आयुक्त की जांच रिपोर्ट व तत्कालीन एसपी हजारीबाग पंकज कंबोज की प्रतिक्रिया की समीक्षा की गई. समीक्षा में यह बात सामने आई कि जनसुनवाई के लिए स्थल व तिथि का निर्धारण एसपी नहीं करते हैं. इसलिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.
आयुक्त की रिपोर्ट के अनुसार हजारीबाग नगर भवन में जिला प्रशासन की जनसुनवाई चल रही थी, जिसमें ग्रामीणों को बुलाया गया था. कुछ लोगों ने नगर भवन के गेट को जाम कर दिया था और लोगों को आने-जाने से रोक रहे थे. इस जाम को हटाने के क्रम में व विधि-व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए हल्का बल प्रयोग किया गया था. इसमें कोई व्यक्ति भी घायल नहीं हुआ और न ही किसी की मृत्यु हुई थी. तत्कालीन एसपी पंकज कंबोज भी मौके पर मौजूद नहीं थे.