मथुरा: जी हां आपने सही सुना हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं, लेकिन मथुरा जिले के कस्बा सुरीर के बघा मोहल्ले की परंपरा एकदम अलग है. यहां सुहागिनें इसलिए करवाचौथ का व्रत नहीं रखती हैं, ताकि उनके पति की उम्र लंबी हो. करवा चौथ के दिन यहां सुहागिनें सती के मंदिर में जाकर पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. इस दिन वे शृंगार भी नहीं करती हैं.
सुरीर के मोहल्ला बघा में 200 वर्ष पूर्व से ही करवा चौथ का व्रत नहीं रखा जाता है. 97 वर्षीय सुनहरी देवी ने बताया कि इस अनोखी प्रथा के पीछे एक सती का श्राप है. 200 वर्ष पहले नौहझील क्षेत्र के गांव रामनगला का युवक ससुराल से अपनी पत्नी को विदा कराकर सुरीर के बघा मोहल्ले में होकर भैंसा गाड़ी से गांव लौट रहा था. इस मोहल्ले के लोगों ने भैंसा गाड़ी रोक ली और गाड़ी में जुते भैंसे को अपना बताते हुए झगड़ा करने लगे. इसी झगड़े में मोहल्ले के लोगों ने युवक की हत्या कर दी थी.
अपने सामने पति की हत्या से कुपित होकर नवविवाहिता ने मोहल्ले के लोगों को श्राप देते हुए कहा कि जिस प्रकार में बिलख रही हूं. तुम्हारी महिलाएं भी बिलखेंगी. श्राप देते हुए वह पति के साथ सती हो गई. इस घटना के बाद मोहल्ले में अनहोनी शुरू हो गई. कई नवविवाहिताएं विधवा हो गई थीं. बुजुर्गों ने इसे सती का श्राप मान लिया और गलती के लिए क्षमा मांगी. तब से इस मोहल्ले में कोई भी महिला करवा चौथ और अहोई अष्टमी का व्रत नहीं रहती. इस दिन महिलाएं पूरा शृंगार भी नहीं करती हैं.
बघा मोहल्ले की नवविवाहिता राधा देवी इस बार व्रत रखना चाहती थी, लेकिन ससुरालीजनों ने मोहल्ले की परंपरा के बारे में बताया तो वह मायूस हो गईं. सीमा देवी की भी पहली करवा चौथ है. सती के श्राप के बारे में सुना तो व्रत का ख्याल ही काफूर हो गया. पूनम देवी का कहना है कि उसका पहला व्रत है. लेकिन बंदिशों के कारण व्रत नहीं रख पाएंगी.
नवविवाहिता रुक्मिणी देवी का कहना है कि शादी के बाद पहले करवा चौथ पर पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखने की मन में बहुत इच्छा थी. प्रेमवती, रामवती, पूनम देवी, जयंती देवी आदि का कहना है कि गांव में स्थित सती माता के मंदिर में सभी पूजा-अर्चना करते हैं. शुभ कार्य करने से पहले सभी माता को शीश झुकाते हैं. सभी महिलाएं पूजा-अर्चना कर अपने परिवार की सलामती मांगती हैं.