100 दिवसीय अभियान को लेकर केंद्रीय मंत्री करेंगे बातचीत
नई दिल्ली: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग के तहत राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ग्रामीण जलापूर्ति के मुद्दे पर सभी राज्यों /केंद्रशासित प्रदेशों के मंत्रियों/प्रभारियों के साथ 3 नवंबर को एक वर्चुअल सम्मेलन आयोजित कर रहा है. राज्यों /केंद्रशासित प्रदेशों के ग्रामीण जल आपूर्ति के प्रभारी मंत्रियों सहित वरिष्ठ अधिकारियों से भी इस बैठक में भाग लेने का अनुरोध किया गया है.
राज्यों /केंद्रशासित प्रदेशों में जल जीवन मिशन की योजना और कार्यान्वयन पर ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी केंद्रों, आश्रमशालाओं और स्कूलों में पाइप से जलापूर्ति प्रदान करने के लिए शुरू किए गए 100-दिवसीय अभियान पर विशेष जोर दिया जाएगा.
राष्ट्रीय मिशन नियमित रूप से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा कर रहा है, ताकि मिशन के लक्ष्यों को समयबद्ध तरीके से पूरी किया जा सके. इस प्रयास में जल जीवन मिशन को गति देने, सही पैमाने पर लागू करने और कौशल प्रदान करने के लिए राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के ग्रामीण जलापूर्ति के प्रभारी मंत्रियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आभासी सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है.
जल जीवन मिशन का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्रामीण समुदाय, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के जीवन स्तर में सुधार के लिए हर घर में सस्ती सेवा के आधार पर दीर्घावधि के लिए पर्याप्त मात्रा में पेयजल आपूर्ति की जा सके. मिशन का मुख्य उद्देश्य हर घर में जल की आपूर्ति, दीर्घकालिक आधार पर नलों की कार्यक्षमता, विकेंद्रीकृत संचालन और प्रबंधन तथा आम लोगों के लिए भी जल परीक्षण सुविधाओं को सुनिश्चित करना है.
मिशन जल गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है. इसके लिए राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों से जल परीक्षण प्रयोगशालाओं की मान्यता देने में तेजी लाने का आग्रह किया गया है. वर्तमान में, राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में 2,233 सरकारी स्वामित्व वाली जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं. अधिकांश राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में, ये प्रयोगशालाएं केवल पानी के नमूनों का परीक्षण करती हैं, जो आम जनता के लिए नहीं हैं.
कुछ राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में, ये प्रयोगशालाएं सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं लेकिन परीक्षण के लिए शुल्क इतना ज्यादा है कि किसी भी सामान्य परिवार के लिए जल का नमूना लेना और परीक्षण करवाना संभव नहीं है.
मिशन इन प्रयोगशालाओं को उनके जल के नमूनों को नाममात्र शुल्क पर परीक्षण के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कारने हेतु प्रोत्साहित करता है और साथ ही जीपी / वीडब्ल्यूएससी / पानी समिति को किट का उपयोग करके जल का परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, तथा आंकड़े समवर्ती रूप से अपलोड किया जाता है, यह पानी को पीने की क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा.
इस प्रकार, इन प्रयोगशालाओं को एकीकृत करने और उन्हें आम जनता के लिए सुलभ बनाने से नल के माध्यम से आपूर्ति की गई जल की क्षमता का पता लगाने में मदद करेगा. यह सामान्य रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ाने और विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों में सुधार लाने में मदद करेगा.
अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन के शुभारंभ के दौरान, 18.93 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) घरों में नल के पानी के कनेक्शन थे. शेष बचे 15.70 करोड़ यानी 83 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को 2024 तक नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराए जाने हैं. इस मिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, लगभग 85,000 नल कनेक्शन रोज उपलब्ध कराने की आवश्यकता है. इन कठिन समय के दौरान, प्रति दिन लगभग 1 लाख कनेक्शन प्रदान किए जा रहे हैं.
इसके कार्यान्वयन में कोविड-19 के कारण बाधा उत्पन्न होने के बावजूद, राज्य / केन्द्रशासित प्रदेश इस बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी संभव प्रयास कर रहे हैं. जल जीवन मिशन (जेजेएम)- ‘हर घर जल’ का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कि हर ग्रामीण घर में पीने योग्य पाइप्ड पानी की आपूर्ति का कार्य जोरों पर चल रहा है.
इस महत्वाकांक्षी मिशन का उद्देश्य सभी को लाभ प्रदान करना है यानि परिवार/गाँव के प्रत्येक घर में नल जल कनेक्शन प्रदान करना है और इसके तहत कोई भी न छूटे, इसका भी ध्यान रखना है. ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू नल कनेक्शन के प्रावधान से महिलाओं, विशेष रूप से महिलाओं और बालिकाओं को पानी लाने की जिम्मेदारी से मुक्त करना भी है. यह ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के ‘इज ऑफ लिविंग’ में भी सुधार करेगा.
मिशन के लक्ष्य को पूरा करने का निर्धारित साल
(एफएचटीसी: कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन)
- 2020 में 100 प्रतिशत एफएचटीसी: गोवा (लक्ष्य प्राप्त).
- 2021 में 100 प्रतिशत एफएचटीसी: ए और एन द्वीप समूह, बिहार, पुदुचेरी, तेलंगाना.
- 2022 में 100 प्रतिशत एफएचटीसी: हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, पंजाब, सिक्किम, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश.
- 2023 में 100 प्रतिशत एफएचटीसी: अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, तमिलनाडु, त्रिपुरा.
- 2024 में 100 प्रतिशत एफएचटीसी: असम, आंध्र प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल.