“दुआ करता हूं”
तिरंगा ओढ़ कर आए कजा,
……………. दुआ करता हूं,
हर किसी की हो, बस यही रजा,
……………. दुआ करता हूं,
शान से आए जब वो, जन्नत जाने का दिन,
हरे कफ़न पर बस रंग गेरुआ पड़ा रहे,
हर जनाजे की बज़्म में हिंद की जयकार हो,
अर्थी को लेकर बस कोई, पगड़ी पहना खड़ा रहे,
पढ़ें फातिया जब-जब, कब्र पर अपनों की,
हर अश्क हो तब साहिब-ए-मसनद कुर्बानी का,
बस हो हर रंग का लहू शामिल इसमें
………………… दुआ करता हूं,
हर किसी की हो, बस यही रजा,
……………. दुआ करता हूं,
बेफिक्री से भरा हर जिगर,
बस सरफरोशी के जुनूँ में खोया रहे,
उबलते रक्त की गर्मजोशी से यहां,
जिंदगी का पल-पल संजोया रहे,
धार तलवार की हो, या हो नोक भाल की,
कटे धड़ तो फिर, फिर सर हँसता रहे,
हो जिंदगानी खत्म ऐसे ही हमारी ………………….दुआ करता हूं,
हर किसी की हो, बस यही रजा,
……………. दुआ करता हूं।
हो आशिकी तो हो बस वतन के लिए,
हो जेहाद तो हो, बस चमन के लिए,
हिंद पर कुर्बानी का सबक, सीखे हर नौजवान,
बस वतन परस्ती मे ही, हर एक साँस डूबी रहे,
एक स्वर, एकमत, एक राष्ट्र का निर्माण हो,
हिंद के हर दिल में बस, मौसिक़ी बनी रहे,
फूल हर रंग का खिले, मेरे इस बागवां में
…………….. दुआ करता हूं।
हर किसी की मिले, बस हंसी फिजा,
…………… दुआ करता हूं।
तिरंगा ओढ़ कर आए कजा,
……………. दुआ करता हूं,
हर किसी की हो, बस यही रजा,
……………. दुआ करता हूं,
——-“बेढंगा”