हजारीबाग शहर का सारले मौजा भू माफियाओं के लिए कुबेर का खजाना बन गया है। यह सारले डैम करीब 21 एकड़ में फैला हुआ था। सारले डैम/तालाब की जमीन को भू माफिया संबंधित कर्मचारी और विभाग के बड़े अधिकारियो की मिली भगत से कब्जा करने में लगे हैं। इनमें से कई एकड़ तालाब को तो मिट्टी भरकर समतल कर पक्का मकान भी बनाया जा चुका है। आश्चर्य की बात यह है कि यह सारा खेल हजारीबाग समाहरणालय से कुछ ही दूरी पर चल रहा है।
क्या है मामला
हजारीबाग के मौजा सारले थाना 159प्लॉट नंबर 81 जो कि केशर हिंद खाता की भूमि है, इस प्लॉट का रकवा करीब 21 एकड़ है। जिसमें करीब 9 एकड़ भूमि का भू माफिया द्वारा अवैध दस्तावेज बनाकर तत्कालीन DCLR सदर में DCLR कोर्ट हजारीबाग में मामला दर्ज था और 21 एकड़ जमीन में से 12 एकड़ जमीन किसी व्यक्ति के नाम बंदोबस्ती की गई। जिसे भू माफियाओं के द्वारा 12 एकड़ जमीन को बेच दिया गया। जिसपर कई पक्का मकान का निर्माण हो चुका है।
इस बचे 9एकड़ भूमि जिसे सारले / डी वी सी डैम के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन वर्तमान में इसे भू माफिया जाली दस्तावेज बनाकर शासन प्रशासन की मदद से लगातार अवैध कब्जा किया जा रहा है। छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारियों तक को मैनेज किया गया है। मिली सूचना के अनुसार तालाब की जमीन को मिट्टी भर समतल कर लगभग 50 लाख रुपए प्रति कट्ठा करके एग्रीमेंट कर बेचा गया है और अब भी यह सिलसिला जारी है।
हजारीबाग के इस क्षेत्र में है भू जल संकट
बता दें कि हजारीबाग के कई क्षेत्र में भूमिगत पानी की कमी है जिसमें हजारीबाग का दीपगढ़ा और सारले भी आता है। सारले तालाब के पास प्लॉट नंबर 72 जहां कभी सरकारी जमीन होने का बोर्ड लगा हुआ था। जिसकी जमीन नाले के लिए अधिग्रहीत की गई है। बावजूद इसके भू माफिया धड़ल्ले से मिट्टी भराई का काम कर रहें हैं। जिससे तालाब लगभग सूखता जा रहा है।इससे आने वाले समय में और भी गंभीर जल संकट जैसे परिणाम हो सकते हैं।

पूरा तालाब अतिक्रमण और कब्जे का शिकार हो चुका है
कईयों ने तो बिना मिट्टी भरे तालाब के कई हिस्सों को ही पक्की बाउंड्री के घेर लिया है। तस्वीर में साफ साफ देखा जा सकता है कि कैसे भू माफिया सारले तालाब को लीलते जा रहें हैं। यह सब अतिक्रमण और अवैध कब्जा बिना शासन प्रशासन की मिलीभगत के कर पाना संभव नहीं है। दबे जुबान यह भी कहा जा रहा है कि भू माफियाओं द्वारा संबंधित अधिकारियों तक करोड़ों रुपए भी पहुंचाए गए हैं। यही कारण है कि कई हिस्सों में कंक्रीट का कार्य अनवरत जारी है।

घट सकती है अप्रिय घटना
बताते चलें कि, उक्त जमीन पर अवैध कब्जा के लिए भू माफिया आपस में भी संघर्ष कर रहें हैं। भू माफियाओं द्वारा आपसी संघर्ष के कारण अप्रिय घटना घटने से इनकार नहीं किया जा सकता है।