हजारीबाग: हजारीबाग शहर में शायद ही कोई भी नदी, नाला, तालाब और जीएम लैंड हो जिसपर अतिक्रमण न हुआ हो.
यह अवैध कब्जा प्रशासन के संज्ञान में भी है लेकिन कभी कोई ठोस कारवाई होती नहीं दिखती. हजारीबाग शहर के बीचोंबीच कुम्हारटोली नाला की जमीन को लेकर हाई कोर्ट का आदेश 2007 से स्थानीय प्रशासन की फाइलों में धूल फांक रहा है.
हाई कोर्ट के निर्देश पर आनन फानन में नापी कर चिन्हित किया गया परंतु इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
कुम्हारटोली नाला अतिक्रमणमुक्त तो नहीं हुआ परंतु बचे हुए जगहों पर और भी अतिक्रमण जरूर कर लिया गया.
विनोवा भावे विश्वविद्यालय के समीप कभी बहुत चौड़ी नदी हुआ करती थी परंतु आज नदी ने संकरे नाला का रूप ले लिया है, नदी के किनारों अतिक्रमण कर बने हुए कई भवन आपको नदी को चिढ़ाते हुए दिख जाएंगे.
हजारीबाग का ओकनी तालाब इसकी तो हालात दयनीय हो गई है. आने वाले कुछ वर्षों में इसका अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा. जहां दो तरफ इस तालाब को अतिक्रमण कर सड़क बना दिए गए है वहीं बाकी दो तरफ से अतिक्रमण कर पक्के मकान बना लिए गए है.
हजारीबाग के कृष्णा पूरी तालाब का तो अस्तित्व ही समाप्त हो गया है. यहां आपको अब पानी नहीं सिर्फ पक्के कच्चे मकान ही दिखेंगे लेकिन अतिक्रमणकारियों पर अब तक कारवाई नहीं हुई, यहां भी खानापूर्ति की गई.तालाब की जमीन नापी गई, निशान लगाए गए फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
हजारीबाग का धोबिया तालाब की हालत किसी से छिपी नहीं है, वहीं पास का झिंझारिया नाला जो अब एक लकीर में बदल गया है.
हजारीबाग पुलिस लाइन हॉस्पिटल के सामने का तालाब जिसकी बाउंडरी करते समय ही अतिक्रमित भूभाग को छोड़ कर दीवाल खड़ी कर दी गई.
समय समय पर प्रशासन को ध्यान दिलाया जाता है, परंतु प्रशासन आनन फानन में कारवाई शुरू भी करती है लेकिन शायद रसूखदारों के सामने प्रशासन की भी नहीं चल पाती है और मामला ठंडा पड जाता है.
हजारीबाग के 1274 सरकारी तालाब में से ज्यादातर तालाबों के अस्तित्व पर खतरा आ गया है. इसमें के कुछ तालाब तो अब बस सिर्फ कागज पर मिलेंगे.
समाजसेवी डॉ आनंद शाही का कहना है कि हजारीबाग जिले के लगभग सभी तालाबों के किनारे अतिक्रमण किया गया है. जिसको लेकर इन्होंने PMO को शिकायत भी की है, लेकिन ठोस कारवाई होती नहीं दिख रही है.