नई दिल्ली: भारत और चीन सीमा विवाद अब धीरे-धीरे सुलझता हुआ नजर आ रहा है. लेकिन भारतीय सेना चीन की किसी भी तरह की कायराना हरकत से बचने के लिए सावधानी बरत रही है. भारत चीनी सैनिकों द्वारा पूर्वी लद्दाख में सीमा से पीछे हटने की प्रक्रिया पर 10 दिनों तक नजर रखेगा, इतना ही नहीं इसकी सावधानी से जांच भी करेगा. इसके बाद ही अगली कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता में तनाव कम करने के अगले चरण पर विचार करेगी.
सूत्रों के मुताबिक पैंगोंग त्सो और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स में चीनी सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने के बाद ही 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन के बीच पांचवें दौर की बैठक होगी. पैंगोंग त्सो और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स में चीनी सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया इस महीने की शुरुआत से ही जारी है.
सूत्रों ने बताया कि 14 जुलाई को भारत और चीन के बीच चौथे दौर की वार्ता के दौरान, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पैंगोंग त्सो और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स से पीछे हटने की अपनी इच्छा का संकेत दिया था. हालांकि, इसके लिए पीएलए अपने शीर्ष राजनीतिक और सैन्य पदानुक्रम से परामर्श कर रही है. उन्होंने कहा कि फिलहाल हमें इंतजार करना होगा और यह देखना होगा कि पीएलए अपनी बातों पर कितना अमल करती है.
गुरुवार को भारतीय सेना ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि भारत और चीन सीमा पर तनाव कम करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं, लेकिन चरणबद्ध तरीके से पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल है और इसके लिए विभिन्न चरणों में निरंतर सत्यापन की जरूरत होती है. 15 जून को गलवां घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों पक्षों के बीच एक-दूसरे को लेकर विश्वास की कमी है, इसलिए दोनों ही पक्ष सत्यापन पर जोर दे रहे हैं.
सेना का यह बयान भारत सरकार के हाई-पावर चाइना स्टडी ग्रुप द्वारा लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर हुई बैठक के एक दिन बाद आया.