गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री के संकटमोचक के रूप में खड़े रहे
रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सह राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ0 रामेश्वर उरांव के लिए वर्ष 2020 का वर्ष काफी महत्वपूर्ण रहा. विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में कांग्रेस को अलग झारखंड राज्य गठन के बाद डॉ0 रामेश्वर उरांव के नेतृत्व में ही सबसे अधिक सीटें मिली, जिससे एक ओर संगठन में उनकी पकड़ मजबूत हुई , वहीं मंत्री के रूप में अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने एक विशेष छाप छोड़ी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संकटमोचक के रूप में हर वक्त खड़े नजर आये.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ0 रामेश्वर उरांव के पिछले वर्ष पदभार संभालने और पांच प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जाने के बाद कुछ क्षण के लिए उनके राजनीतिक विरोधियों ने इस तरह की समां बांधने की कोशिश की कि संगठन में नेतृत्व के कई कोण बनेंगे. लेकिन जिस तरह से चतुराई से डॉ0 रामेश्वर उरांव और उनके कुछ करीबियों ने ब्यूहरचना रची, उससे संगठन के उनके राजनीतिक पूरी तरह से पस्त नजर आये. एक विधायक ने सार्वजनिक मंच से बयानबाजी कर प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ माहौल बनाने का प्रयास किया, वहीं दो-तीन प्रदेश कार्यकारी अध्यक्षों ने भी विरोध के इस स्वर को हवा देने की कोशिश की, परंतु डॉ0 रामेश्वर उरांव के कुछ सहयोगियों ने चतुराईपूर्वक इस विरोध को अपने सिर पर ले लिया और इस तरह से संगठन में डॉ0 रामेश्वर उरांव का विरोध सिर्फ उनके कुछ करीबियों के विरोध तक ही सीमित हो कर रह गया. इसका परिणाम यह हुआ कि जो लोग अंदर ही अंदर से डॉ0 रामेश्वर उरांव का विरोध कर रहे थे,उन सभी ने सार्वजनिक तौर पर हथियार डाल कर प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में ही काम करने की बात स्वीकार कर ली. प्रदेश कांग्रेस में 20 वर्षां के दौरान यह पहली हुआ, जब पार्टी के अंदर प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की मांग को लेकर कोई अभियान नहीं चल रहा है.
इधर, प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 रामेश्वर उरांव ने वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री के रूप में जो विशेष काम किया, उससे सरकार में उनकी विशेष छाप बनी है. पूरे लॉकडाउन और कोरोना संक्रमणकाल में जिस तरह से डॉ0 रामेश्वर उरांव ने हर गरीब और जरुरतमंद परिवार को अनाज उपलब्ध कराने में सफलता हासिल की. इस दौरान उनसभी जरूरतमंद परिवारों भी राशन मिला, जिनका नाम राशन कार्ड में नहीं था या वे यहां के रहने वाले नहीं थे. अनाज के साथ ही जगह-जगह मुख्यमंत्री दीदी किचन और हाइवे किचन की व्यवस्था कर सभी को भोजन उपलब्ध कराया गया. इसके अलावा कोरोना संक्रमण काल में जब राजस्व संग्रहण काफी कम हो गया, उस वक्त भी वित्तमंत्री के रूप में राजस्व में बढ़ोत्तरी को लेकर कई उपाय कर और जीएसटी परिषद की बैठक में झारखंड सरकर का पक्ष रखकर डॉ0 रामेश्वर उरांव ने झारखंड को संकटकाल से उबारने का काम किया और अब न सिर्फ राजस्व संग्रहण में भी बढ़ोत्तरी हुई है, वहीं स्थिति भी धीरे-धीरे सामान्य हो रही है.