शशि भूषण दूबे कंचनीय,
मिर्जापुर: जिलि शहर कांग्रेस कमेटी के तत्वावधान मे किसान विधेयक के विरोध मे जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को भारी संख्या मे कांग्रेसियों ने तगडा विरोध जताया है जिसका नेतृत्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष राजन पाठक द्वारा किया गया, जबकि कांग्रेस जिलाध्यक्ष द्वारा अदलहाट मे जुलूस निकाल कर जन जागरण करते हुए किसान विरोधी विधेयक का विरोध किया है.
भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों व सदस्यों द्वारा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित ज्ञापन मंडलायुक्त को सौंपा. भारतीय किसान यूनियन के भारी संख्या में पदाधिकारी व सदस्य भरुहना चौराहे पर पटेल प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर पथरहिया स्थित आयुक्त कार्यालय तक पैदल मार्च कर मंडलायुक्त प्रीति शुक्ला को कृषि विधेयक के विरोध में ज्ञापन सौंपा. यूनियन के जिला महासचिव वीरेंद्र सिंह ने कहा कि वे केन्द्र सरकार द्वारा 5 जून को लागू किये गए अध्यादेशों का देश के किसान विरोध कर रहे हैं.
वहीं केंद्र सरकार द्वारा इन अध्यादेशों को एक देश-एक बाजार के रूप में कृषि सुधार की दशा में एक बड़ा कदम बता रही है. भारतीय किसान यूनियन इन अध्यादेशों को कृषि क्षेत्र में कंपनी राज के रूप में देख रही है.
यूनियन के अन्य पदाधिकारियों का कहना है कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा भी इसकों संघीय ढांचे का उल्लंघन मानते हुए इन्हें वापिस लिये जाने की मांग कर रही है. देश के अनेक हिस्सों में इसके विरोध में किसान आवाज उठा रहे हैं.
किसानों को इन कानून से कम्पनी की बन्धुआ बनाये जाने का खतरा सता रहा है. कृषि में कानून नियंत्रण, मुक्त विपणन, भंडारण, आयात-निर्यात, किसान हित में नहीं है. इसका खामियाजा देश के किसान विश्व व्यापार संगठन के रूप में भी भुगत रहे हैं.
देश में 1943-44 में बंगाल के सूखे के समय ईस्ट इंडिया कंपनी के अनाज भंडारण के कारण 40 लाख लोग भूख से मर गये थे. समर्थन मूल्य कानून बनाने जैसे कृषि सुधारों से किसान का बिचौलियों और कम्पनियों द्वारा किया जा रहा अति शोषण बन्द हो सकता है और इस कदम से किसानों के आय में वृद्धि होगी.