रांची : झारखंड जनाधिकार महासभा और जन संगठनों ने राजभवन के समक्ष एक दिवसीय धरना दिया. धरना प्रदर्शन के दौरान देशों के नाम पर किय गये केस जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश की गई. महासभा में पत्थरगड़ी को संविधान की गलत व्याख्या कर प्रशाशन ने तीस हजार अज्ञात आदिवासियों पर विभिन्न धाराओं के तहत मुख्यतः देशद्रोह का मामला दर्ज करने को पूरी तरह गलत बताया.
इसके साथ ही मानवाधिकार उल्लंघन अभी हवाला देते हुए धरने प्रदर्शन में 2018 में पुलिस द्वारा खूंटी के घागरा गांव के लोगों को वहां के पत्थलगड़ी समारोह में आए अन्य गांव के लोगों को बेरहमी से पीटने का भी आरोप लगाया. झारखंड जनाधिकार महासभा निम्नलिखित मांगों के साथ धरने पर है –
- खूंटी के हजारों अज्ञात आदिवासियों पर किए गए FIR को तुरंत रद्द किया जाए. तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह के आरोप में न्यायिक जांच कराई जाए.
- किस सबूत के आधार पर इन मामलों को दर्ज किया गया था और जांच में क्या प्रमाण मिले सरकार इसे सार्वजनिक करे.
- घाघरा व अन्य गांव में पुलिस द्वारा की गई हिंसा की न्यायिक जांच में और हिंसा के लिए जिम्मेदार पदाधिकारियों पर दंडात्मक कार्यवाही हो इसके साथ ही पीड़ित परिवारों के मानवाधिकार उल्लंघन के लिए मुआवजा दिया जाए.
- सरकार पत्थलगड़ी किए गांव के लोगों,आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों एवं संवैधानिक विशेषज्ञों के साथ पत्थरों पर लिखे गए संविधान के प्रावधानों की व्याख्या पर वार्ता करे. एवं पांचवीं अनुसूची और पेसा के प्रावधानों को पूर्ण रुप से लागू करें.
Also Read This:- झारखंड में छोटे वाहनों से बच्चों को स्कूल ले जाने पर लगाए गए प्रतिबंध वापस होंगे
झारखंड जनाधिकार महासभा के अध्यक्ष भारत भूषण चौधरी ने बताया कि हम अपनी मांगों के साथ अधिक है. उन्होंने कहा कि “जल्द से जल्द झारखंड सरकार को उक्त मांगों पर ध्यान देना होगा, वरना यह प्रदर्शन और भी ज्यादा व्रत होगा.” इस धरना प्रदर्शन के दौरान झारखंड जनाधिकार महासभा के कार्यकर्ताओं में संगठन के अध्यक्ष भारत भूषण चौधरी, विवेक कुमार, राज सिंह, विवेक जेरोन एक्का, रमेश मुंडा सहित अन्य मौजूद रहे.