रांची: यूनिसेफ के द्वारा रांची के प्रेस क्लब में बाल विवाह को लेकर गुरुवार को सेमिनार का आयोजन किया गया. इस अवसर पर राज्य के विभिन्न जिलों के स्कूल से आए बाल पत्रकार भी मौजूद थे. उन्होंने क्विज के माध्यम से अपनी जानकारी को सबके बीच साझा किया.
यूनिसेफ की बाल संरक्षण विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव ने बताया कि भारत में बाल विवाह दर 27% है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार पश्चिम बंगाल और बिहार के बाद झारखंड बाल विवाह के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है.
यहां 38% लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है. 5 में से 2 लड़की की शादी कानूनी उम्र पूरी होने से पहले कर दी जाती है. बाल विवाह, बाल अधिकार का हनन है. चाहे यह लड़के के साथ हो या लड़की के साथ.
बाल विवाह बच्चे के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और विकास के अधिकार का हनन है. जिस लड़की की शादी कम उम्र में करा दी जाती है, उसे स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है और उसे समय पूर्व गर्भधारण के खतरे का भी सामना करना पड़ता है. इसके अलावा उसके साथ घरेलू हिंसा की आशंका भी रहती है.
विशेषज्ञ ने बताया कि कम उम्र में लड़की के गर्भधारण करने से मां के साथ-साथ बच्चे को भी गंभीर बीमारियां और कमजोरी होने की आशंका रहती है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अगले वर्ष राज्य के 50 प्रतिशत जिलों में अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा. सभी विभागों को साथ मे लेकर कार्य करने का प्रयास करेंगे, क्योंकि सभी का इसमें अहम भागेदारी है.
प्रीति श्रीवास्तव ने बताया कि बाल विवाह को रोकने में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. उन्होंने कहा कि समाज की मानसिकता में बदलाव आने से ही बाल विवाह पर रोक लगाई जा सकती है. समाज में इसे लेकर क्या-क्या कार्य किया जा रहा है, उस पर हम अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
उन्होंने ने बताया कि यूनिसेफ के द्वारा गिरिडीह के बहुत से इलाकों में बाल विवाह को रोका गया. इसमें सहयोग करने वाले लोगों और परिजनों को सम्मान भी दिया गया है. इस अवसर पर कई बाल पत्रकारों ने अपने बीच गुजरी इस तरह की परिस्थितियों को सबके समक्ष रखा और कई बाल पत्रकारों ने बाल विवाह से संबंधित गीत पेस किया.
वहीं कुछ बाल पत्रकारों ने राजा और बाजा में हुई खतरान और तोय बेटी के बाल विवाह न करावे जैसे गीत गीत पेश कर बाल विवाह रोकने के प्रति जागरूक किया.