प्रमुख संवाददाता : उपेंद्र कुमार सिंह
झारखंड : झारखंड विधानसभाओं का मॉनसून सत्र 22 जुलाई से 26 जुलाई तक आहूत है. लोकसभा चुनाव के बाद सदन का नजारा बदला हुआ नजर आएगा. सदन में सतापक्ष का बेंच के सामने ही विपक्ष बैठेगा, लेकिन दोनों पक्ष में सदस्यों की संख्या में बदलाव दिखेगा. सतापक्ष के मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी की जगह आजसू कोटे से ही रामचरण सहिस सदस्यों के सवालों का जवाब देंगे और विभाग की तमाम बातों को रखेंगे.
दूसरी तरफ विपक्षी बेंच में भी ज्यादा ही बदलाव दिखेगा. जय भारत समानता पार्टी की विधायक गीता कोड़ा विधानसभा के सदन में नजर नहीं आएंगी. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की सदस्य बनकर कमाऊ पुत्री की तरह कांग्रेस की इज्जत बचाते हुए गीता कोड़ा सिंहभूम से सांसद निर्वाचित हो गई है. कांग्रेस नेताओं की पहल पर लोकसभा चुनाव से कुछ माह पूर्व ही गीता कोड़ा ने सदस्यता ली थी.
कांग्रेस पार्टी ने उन्हें सिंहभूम से एक सीट पक्की मान कर प्रत्याशी घोषित किया और फायदे में रही. क्योंकि गीता इस काबिल थी की केवल अपने बलबूते पर सीट निकाल ले और यह निर्णय सही साबित हुआ. मोदी की सुनामी लहर में भी गीता कोड़ा ने कांग्रेस का प्रदेश में खाता खुलवा दिया. उन्होंने न केवल कांग्रेस को संजीवनी दी बल्कि उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा को कड़े मुकाबले में हरा दिया.
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पक्ष-विपक्ष से निलंबित विधायक भी होंगे मानसून सत्र में
झारखंड का इस बार भी अजीब स्थिति से सामना होगा संयोग ही है कि विधानसभा में सदन की कार्रवाई के दौरान विपक्षी खेमा का बेंच और सतापक्ष खेमा का बेंच पर निलंबित विधायक नजर भी आएंगे और शायद अपने ही दल के खिलाफ आवाज भी बुलंद करेंगे. विधानसभा परिसर में भी इसका असर दिखेगा क्योंकि मांडू से झामुमो के विधायक जयप्रकाश भाई पटेल पार्टी लाइन से इतर जाने के कारण निष्कासित किए गए हैं.
फिलहाल यह आजसू या भाजपा के साथ खड़े दिख रहे हैं झामुमो का सदस्य रहते हुए जयप्रकाश भाई ने भाजपा और मोदी के रंग में रंगते हुए लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की. और वो पार्टी की नजरों पर चढ़ गए. झामुमो ने तत्काल कार्रवाई करते हुये उन्हें निलम्बित कर दिया था. जयप्रकाश भाई पटेल की नजर गिरिडीह सीट पर थी, लेकिन झामुमो से टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने बगावत कर एनडीए की सभाओं, कार्यक्रमों और रोड शो में शामिल होकर साबित कर दिया की वे अपनी पैतृक पार्टी से तलाक लेने का मूड बना चुके थे.
उधर, तमाड़ से आजसू पार्टी के विधायक विकास सिंह मुंडा को भी आजसू पार्टी ने निलंबित कर दिया गया. उनपर दलीय अनुशासन तोडऩे का आरोप है. बदली राजनीतिक परिस्थिति में मुंडा झामुमो की राह पर है, और चुनाव आते-आते पूरी तरह से झामुमो के साथ खड़े हो जाएंगे. फिलहाल झारखंड विधानसभा में वे आजसू के मंत्री पर निशाना साधने के साथ साथ आजसू पार्टी और सरकार के विरोध में सदन के भीतर खड़े दिखाई देंगे. कुल मिलाकर झारखंड की राजनीति में पहली बार 5 साल बहुमत के साथ किसी भी सरकार ने कार्यकाल पूरा किया है. लेकिन लगभग पौने पांच साल के कार्यकाल में विपक्ष के आक्रोश आंदोलन का हिस्सा बन आखरी सत्र में सुर्खियां बटोर लेंगे.