हैदराबाद: देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के बयान पर AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘ये उनका (बिपिन रावत) पहला हास्यापद बयान नहीं है. नीति का फैसला नागरिक प्रशासन करता है, ना कि कोई जनरल. नीति या राजनीति पर बात करके वह नागरिक संप्रभुता की अनदेखी कर रहे हैं.’
दरअसल एक कार्यक्रम में सीडीएस बिपिन रावत ने आतंकवाद और पाकिस्तान को लेकर कहा था कि हमें आतंकवाद से लड़ने के लिए अमेरिका जैसी रणनीति पर अमल करना चाहिए. जब तक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश हैं, तब तक हमें इस खतरे का सामना करते रहना होगा. इसके अलावा रावत ने कहा था, ‘जो लोग पूरी तरह कट्टर बन चुके हैं, उनसे काम शुरू कराना होगा. उन्हें कट्टरता के खिलाफ कार्यक्रमों में शामिल करना होगा. जम्मू-कश्मीर में लोगों को कट्टर बनाया गया, 12 साल के लड़के-लड़कियों को भी कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है. इन लोगों को धीरे-धीरे कट्टरता से दूर किया जा सकता है. इसके लिए डी रैडिकलाइजेशन कैंप बनाना होगा.’
सीडीएस के इसी बयान पर पलटवार करते हुए ओवैसी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘लिंचिंग करने वालों और उनके आकाओं का डी रैडिकलाइजेशन कौन करेगा ? उनका क्या जो असम के बंगाली मुसलमानों की नागरिकता का विरोध कर रहे हैं ? शायद ‘बदला’ योगी और ‘पाकिस्तान जाओ’ मेरठ के एसपी को डी रैडिकलाइज किया जाए ? उन लोगों को डी रैडिकलाइज किया जाए जो एनपीआर-एनआरसी के माध्यम से हम पर परेशानी थोपने वाले हैं ?’
ओवैसी का आशय यहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘उपद्रवियों से बदला’ लेने वाले बयान और मेरठ के एसपी के उस बयान से था जिसमें उन्होंने पथराव करने वाले उपद्रवियों से कहा था कि वे पाकिस्तान चले जाएं. सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने ये भी कहा था कि कट्टरवादी विचारधारा से निपटने की जरूरत है. सभी के साथ शांतिवार्ता शुरू की जानी चाहिए, लेकिन इस शर्त पर कि वे आतंकवाद को पूरी तरह छोड़ दें.