🚀 अंतरिक्ष में मिला रहस्यमयी ऑब्जेक्ट: हर 44 मिनट में भेजता है सिग्नल, NASA भी चौंका
वैज्ञानिकों ने ASKAP J1832-0911 नामक एक ऐसे खगोलीय ऑब्जेक्ट की खोज की है, जो हर 44 मिनट में रेडियो और एक्स-रे सिग्नल उत्सर्जित करता है। NASA और ऑस्ट्रेलिया दोनों एजेंसियों ने इसकी पुष्टि की है।
🔭 किसने खोजा?
इस अनोखे ऑब्जेक्ट को सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया की खगोलशास्त्रीय संस्था CSIRO द्वारा संचालित Square Kilometre Array Pathfinder (ASKAP) टेलीस्कोप ने खोजा। इसके बाद NASA की Chandra X-ray Observatory ने इसकी पुष्टि की कि यह वस्तु रेडियो के साथ-साथ एक्स-रे सिग्नल भी उत्सर्जित कर रही है।
🌌 ऑब्जेक्ट का नाम: ASKAP J1832-0911
स्थान: पृथ्वी से लगभग 15,000 प्रकाश वर्ष दूर, स्कूटम तारामंडल में।
खासियत: यह हर 44 मिनट में 2 मिनट तक एक तीव्र सिग्नल भेजता है — एकदम नियमित।
सिग्नल प्रकार: रेडियो और एक्स-रे दोनों।
नासा का मत: यह ब्रह्मांड की सबसे अनोखी वस्तुओं में से एक हो सकता है, जो शायद किसी मैग्नेटार (Magnetar) या किसी अल्ट्रा-मैग्नेटिक व्हाइट ड्वार्फ से संबंधित हो।
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📡 NASA का आधिकारिक इनपुट:
> “हमने इससे पहले कभी भी इस प्रकार की नियमितता और ऊर्जा संयोजन नहीं देखा। यह वस्तु हमें ब्रह्मांड की नई फिजिक्स की ओर ले जा सकती है।”
— Ziteng Wang, प्रमुख शोधकर्ता (ICRAR और NASA सहयोगी)
NASA की वेबसाइट पर इसे Long-Period Transient (LPT) के रूप में वर्गीकृत किया गया है — यह खगोलीय वस्तुओं की एक नई और रहस्यमयी श्रेणी है।
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🖼️ NASA द्वारा जारी चित्र:
चित्र विवरण:
🔵 नीला: एक्स-रे (NASA/Chandra)
🔴 लाल: रेडियो (MeerKAT)
🟦 सियान: इंफ्रारेड (NASA Spitzer)
चित्र स्रोत: NASA/CXC/ICRAR, Curtin Univ./Z. Wang et al.; Infrared: NASA/JPL/CalTech/IPAC; Radio: SARAO/MeerKAT
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🧠 वैज्ञानिक अनुमान:
यह एक धीमी गति से घूमती न्यूट्रॉन स्टार हो सकती है।
या कोई नया प्रकार का मैग्नेटिक कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट, जिसकी खोज अभी तक नहीं हुई थी।
इसकी ताकत और नियमितता से जनरल रिलेटिविटी और क्वांटम मैग्नेटिज्म के नियमों को चुनौती मिल सकती है।
🔗 स्रोत:
🔭 NASA – Chandra X-ray Observatory रिपोर्ट
📚 arXiv प्रीप्रिंट पेपर – Z. Wang et al., 2025
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📌 निष्कर्ष:
ASKAP J1832-0911 एक ऐसा खगोलीय रहस्य बन चुका है जिसने वैज्ञानिकों की सोच को झकझोर दिया है। नासा और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक मिलकर इसकी पूरी प्रकृति को समझने के लिए आगे शोध कर रहे हैं।
यह ब्रह्मांड का ‘कोडेड मैसेज’ भी हो सकता है – या महज एक प्रकृतिक घटना। समय ही बताएगा।