रांचीः रांची पुलिस ने एक करोड़ रुपये ठगी के आरोप में जिस नटवरलाल निवेश कुमार को गिरफ्तार किया है, उसके बारे में पुलिस को कई चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं. वह डीएसपी की वर्दी पहनकर घूमता था.
डीएसपी बनकर बिहार के बेगूसराय में पुलिस बहाली का झांसा देकर दर्जनों लोगों से ठगी कर चुका है. वह बिहार में अपने दो बॉडीगार्ड के साथ डीएसपी की वर्दी पहन कर घूमता था. हमेशा लग्जरी गाड़ी में अपने साथ दो बॉडीगार्डों को रखता था. जहां भी वह रूकता था, वहां पर बॉडीगार्ड ही उसकी गाड़ी का दरवाजा खोलते थे.
नटवरलाल निवेश किसी शिकार को लेकर अपनी लग्जरी गाड़ी व बॉडीगार्ड के साथ जब प्रोजेक्ट भवन पहुंचता था. तो तैनात गार्ड भी उसे सलामी ठोंकते थे. सलामी ठोकने के लिए गार्ड को मैनेज कर रखा था, सलामी ठोकने के एवज में गार्ड को पैसे भी दिया करता, ताकि उसके पास आने वालों को भरोसा हो जाए.
यही तामझाम दिखाकर वह लोगों को ठगी का शिकार बनाता था. फिलहाल निवेश को पिठोरिया निवासी बुजुर्ग शिवदास शर्मा से 30.70 लाख की ठगी के आरोप में मंगलवार को जेल भेजा गया है.
अब पुलिस उसे रिमांड पर लेने की तैयारी में है. ठगी के आरोपित निवेश की सांठ-गांठ प्रोजेक्ट भवन के अफसरों से भी होने की जानकारी पुलिस को मिली है. चूंकि प्रोजेक्ट भवन बुलाकर ही लोगों को वह अपना शिकार बनाता था.
पुलिस ने आरोपित निवेश को जेल भेज दिया है. उसके खिलाफ एक और मामला सामने आया है, जो धुर्वा थाने में दर्ज है. पुलिस धुर्वा थाने में दर्ज 70 लाख ठगी मामले पर आरोपित को रिमांड में लेगी. इसके अलावा रांची के अलग-अलग थानों में दर्ज मामलों के बारे में भी पुलिस पता लगा रही है.
धुर्वा थाने में बीते 23 मार्च को निवेश कुमार के खिलाफ 72 लाख की ठगी का केस दर्ज हुआ था. लेकिन धुर्वा पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई. जबकि आरोपित धुर्वा थाना क्षेत्र के आदर्श नगर में ही रहता है. जानकारी के अनुसार पटना निवासी संतोष कुमार ने 23 मार्च 2021 को निवेश कुमार उर्फ राजवीर उर्फ गौजी और जीतेंद्र कुमार उर्फ संजय के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
जिसमें आरोप लगाया कि उसके अलावा विकास कुमार, रोशन कुमार, अविनाश कुमार, संजीत कुमार, विकास कुमार, बृज भूषण कुमार, अमित कुमार को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर निवेश और उसके साथियों ने 2018 में राशि ली.
इसी दौरान प्रोजेक्ट भवन ले जाकर फार्म भी भरवाया. यह कहा कि अप्रैल 2019 में सभी की ज्वाइनिंग हो जाएगी. इसके बाद मार्च 2021 तक न तो नौकरी लगी और न ही आरोपित ने उन्हें पैसे ही वापस किए. इसके बाद उन्होंने धुर्वा थाने में आरोपित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी.