रांचीः मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है समाज ही उसका कर्मक्षेत्र होता है. परोपकार और सहानुभूति पर ही समाज स्थापित है. देश में इसकी नींव इतनी गहरी है कि कोई इसे हिला नहीं सकता. ऐसी विषम परिस्थिति में हमारे योद्धा डॉक्टर डटे हुए हैं. कोरोना से जंग जीतने के लिए दिन रात अपनी सेवा दे रहे हैं. अपनी जान हथेली पर रखकर दूसरों को बचाने में लगे हुए हैं ऐसे डॉक्टरों को सैल्यूट है. महीनों से अपने घर नहीं गए अपने परिवार से नहीं मिले हैं. कई डॉक्टरों से बातचीत हुई, पता चला कि वह कई रात सोए नहीं है अगर सोते भी हैं तो देर रात को और फिर सुबह 4:00 बजे से ही काम पर लग जाते हैं.
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धरती के भगवान हैं हमारे डॉक्टर
यूं कहें कि जन्म तो मां देती है पर दूसरा जन्मदाता हमारे डॉक्टर ही हैं. आप सभी को यह पता करना चाहिए कि दुनिया भर में डाक्टर और अस्पताल के स्टॉफ इस चुनौती से आखिर कैसे लड़ रहे हैं. खुद जानें, उनके मेहनत को सलाम करें और दूसरों को भी बताएं. अपने डाक्टरों की सुरक्षा की चिन्ता के लिए सवाल करें और आवाज उठाएं. आज भी कल भी और कल के बाद भी. देश के डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी सुविधा से पूरी तरह से लैस नहीं हैं. वे ड्यूटी पर जाने के लिए तैयार है, लेकिन उनके पास खुद की हिफाजत के लिए सुविधाएं नहीं हैं. आप खुद सोचिए कि अगर सैनिक को बगैर बंदूक के सीमा पर भेज दिया जाए तो होगा?
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किसी भी समाज के लिए डॉक्टर का होना जरूरी
किसी भी समाज के लिए डॉक्टर आवश्यक हैं. उन्हें जीवन उद्धारकर्ता माना जाता है. हमारे दैनिक जीवन में हम अक्सर उन स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते हैं जो हमारी समझ से बाहर हैं. हमें इन समस्याओं को समझने और इसे ठीक करने के लिए डॉक्टर से मदद की जरूरत है. मेडिकल हस्तक्षेप के बिना स्थिति खराब हो सकती है. इस प्रकार डॉक्टरों को जीवन सौहार्य माना जाता है. वे चिकित्सा विज्ञान के अध्ययन में अपने जीवन के कई साल लगाते हैं. एक बार जब वे इस क्षेत्र के बारे में सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं तो उन्हें इस पेशे को संभालने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षण दिया जाता है जो उनका लक्ष्य है.