नई दिल्ली: निर्भया कांड के चार दोषियों के लिए एक संगठन ने इन्हें गरुड़ पुराण सुनाये जाने की मांग की है. गौरतलब है की 22 जनवरी को सुबह सात बजे दोषियों को फांसी की सजा दी जानी है. इसके लिए तिहाड़ जेल में तैयारियां भी पूरी की जा चुकी हैं. लेकिन एक संगठन ने इन दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाए जाने के पहले इन्हें गरुड़ पुराण सुनाये जाने की मांग की है.
साथ ही, इससे उन्हें कष्ट कम होता है और उन्हें मौत के बाद सद्गति मिलती है. संगठन ने इसके लिए तिहाड़ जेल के डिजी संजीव गोयल को पत्र लिखकर दोषियों को गरुण पुराण सुनाये जाने की अनुमति देने का निवेदन भी किया है.
मृत्यु कम कष्टकारी होती है
जेल सुधारों के लिए काम कर रही संस्था राष्ट्रीय युवा शक्ति के अध्यक्ष बताया कि दोषियों को उनके किये की सजा दिए जाने की सारी प्रक्रियाएं लगभग पूरी कर ली गई हैं. अब जबकि उनका मरना निश्चित हो गया है, तो उन्हें ऐसी मृत्यु देने की कोशिश की जानी चाहिए जो कम से कम कष्टकारी हो. गरुड़ पुराण सुनने से मृतक और उसके परिवार मृत्यु के बाद की परिस्थिति के लिए स्वयं को मानसिक रूप से बेहतर ढंग से तैयार कर पाते हैं.
धार्मिक व्यवस्था में माना जाता है कि इससे उनको मृत्यु के बाद बेहतर कल देखने को मिलता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए उनकी मांग है कि मानवीय आधार पर फांसी दिए जाने से पूर्व उन्हें गरुड़ पुराण सुनाये जाने की अनुमति दी जानी चाहिए.
16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ हुई अमानवीय हरकत के बाद 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. इस कांड के बाद देशभर में गुस्सा पैदा हो गया था. लंबी सुनवाई के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने अपराध में शामिल सभी दोषियों के लिए फांसी की सजा सुनाई थी. सभी प्रक्रियाओं से गुजरते हुए 10 जनवरी 2020 को अदालत ने डेथ वारंट जारी किया और इसके लिए 22 जनवरी 2020 सुबह सात बजे का समय निश्चित किया.
हालांकि फांसी की सजा पा चुके दो दोषियों विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह ने इस मामले में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर रखी है. कोर्ट इस पर 14 जनवरी मंगलवार को सुनवाई कर सकती है. लेकिन माना जा रहा है कि इस मामले में दोषियों के बचने की अब कोई गुंजाइश शेष नहीं बची है और उनकी फांसी तय है.
क्या है गरुड़ पुराण?
उन्होंने अपनी मृत्यु को रोकने के लिए उपाय किए, जिसके कारण उनकी मौत नहीं हो पा रही थी. लेकिन गरुड़ पुराण सुनने के बाद उनका मोह दूर हुआ और वे मृत्यु के लिए सहर्ष तैयार हो गए. माना जाता है कि इस ग्रंथ में शुरू में 19,000 श्लोक थे, लेकिन अब इसमें केवल सात हजार श्लोक ही रह गए हैं.