रांचीः प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 6 महीने में जितने भी काम हुए हैं, जितने भी फैसले लिए गए हैं, इनमें से कई ऐसे थे जो दशकों से लटके हुए थे. यह कांग्रेस का चरित्र रहा है. मामलों को लटकाने का श्रेय कांग्रेस और उसके सहयोगियों को जाता है, जिन्होंने सबसे ज्यादा समय देश पर शासन किया है.
देश पर राज किया है. यह कांग्रेस की हमेशा से रणनीति रही है कि मुश्किल फैसलों को डालते रहो. उस पर राजनीति करते रहो. कांग्रेस ने हमेशा अपनी राजनीति के बारे में सोचा है. राष्ट्रहित और राष्ट्रनीति के बारे में सोचने में उनको बड़ी देर लग जाती है. कांग्रेस की यही राजनीति है, जिसके कारण 7 दशक बाद भी भारत के समाज में अनेक मुश्किलें, बाधाएं और दरारें दिखी.
पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग कई वर्षों से चल रही थी. कांग्रेस के सरकारी आती थी. वादे करती थी. ओबीसी के नेताओं से फोटो निकलवा दी थी और चुनाव गया और भूल जाती थी. यही इनके स्वार्थ की नीति थी. लेकिन भाजपा ने पिछले वर्ग ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया, ताकि पिछड़ों को इंसाफ मिल सके.
आपने देखा होगा लोग भ्रम फैलाते रहते हैं मोदी आएगा भाजपा आएगा तो आरक्षण हट जाएगा. आरक्षण बढ़ाने का निर्णय वर्तमान सरकार ने लिया. सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों को आरक्षण मिले. यह सामान्य वर्ग का हर गरीब सालों से मांग कर रहा था. आंदोलन कर रहा था, लेकिन कांग्रेस जायज मांगों को दबाती रही. लटकाती रही. यह कांग्रेस के सहयोगी की स्वार्थ नीति का परिणाम था. भाजपा ने गरीब के हित में सामान्य वर्ग के गरीबों को भी 10% आरक्षण दे दिया. यही हमारी राष्ट्र नीति है.
आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय की मांग भी दशकों से चल रही थी, लेकिन इसको पूरा करने का काम भाजपा की सरकार बनी तब हो पाया. उससे पहले कांग्रेस को आदिवासी समाज की परवाह नहीं थी. इस तरह अलग झारखंड के निर्माण के लिए भी वर्षों तक यातनाएं झेलनी पड़ी, गोलियां बरसाई गई, जुल्म किए गए, खून खराबा हुआ, लोगों को जेल में डाला गया, लोगों को अपनों को खोना पड़ा. इस मुसीबत के कारण भी कांग्रेस पार्टी रही है उनके साथी ही रहे हैं.
जो स्वार्थ के लिए राजनीतिक आंदोलनों की बातें करते हैं. यहां का जनजाति समाज, यहां का पिछड़ा समाज अलग राज्य की मांग कर रहा था, लेकिन कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हितों के ऊपर रखा. पांच दशक तक आपके लिए अलग झारखंड नहीं बनाया.
कुछ लोग कहते थे. झारखंड मेरे लाश पर बनेगा. आज वही लोग वोट मांगने निकले हैं. ऐसे झूठ बोलने वालों को आप माफ कर सकते हैं क्या. झारखंड का विरोध करने वालों का स्वागत कर सकते हैं. बाबू राम नारायण सिंह, जयपाल मुंडा, विनोद बिहारी महतो जैसे सेनानियों के संघर्ष को कांग्रेस ने कभी सम्मान नहीं दिया. उनकी आवाज को दबाने के लिए छल कपट का सहारा लिया, लेकिन भाजपा ने इस संघर्ष का भी सम्मान किया और इससे जुड़े सेनानियों का भी सम्मान किया.
जब भाजपा को पहली बार दिल्ली में आपने अवसर दिया तो आप से किया गया अलग झारखंड राज्य का वादा भी अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने पूरा किया. विनोद बिहारी महतो के नाम पर विश्वविद्यालय का नामकरण करने का काम भी भाजपा की सरकार ने किया.