रांची: विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे और हंगामे के बीच कहा कि एक राजनीतिक दल का सदस्य होने के नाते, हमारी कतिपय दलीय प्रतिबद्धताएं है, लेकिन हमें जनता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्राथमिकता देनी होगी और यदि हम ऐसा करने में कामयाब होते है, तो निश्चित रूप से मानिए कि जनहित के उद्देश्य पूरे होंगे और हमारा लोकतंत्र सफल होगा तथा आप एक सफल विधायक सिद्ध होंगे.
उन्होंने कहा कि इस भवन की भव्यता तभी सार्थक होगी, जब हम अपने विचार और व्यवहार में भव्यता लाकर जनता के व्यापक हित में काम करेंगे.
महतो ने अपने प्रारंभिक वक्तव्य में कहा कि 28 फरवरी से 28 मार्च तक चलने वाले इस सत्र में कुल 18 कार्यदिवस प्रस्तावित है, जिसके दरम्यां चालू वित्तीय वर्ष का अनुपूरक बजट पेश करने के साथ-साथ वित्तीय वर्ष 2020-21 का वार्षिक बजट भी सरकार द्वारा पेश किया जाएगा. हमारी शासन प्रणाली संविधान के जिस प्रावधानों के अनुसार संचालित होती है, उसी के अंतर्गत यह व्यवस्था की गयी कि प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में विधानमंडल के पटल पर रखेगी.
संविधान के इस प्रावधान में सरकार के उपर विधानमंडीय जवाबदेही का वित्तीय सिद्धांत निहित है. यह प्रावधान इस तथ्य को रेखांकित करता है कि सदन की सहमति के बिना न तो एक पैसा का करोपण किया जा सकता है और न ही सरकार एक पैसे का व्यय कर सकती है. राज्य की संचित निधि के ऊपर विधायिका के नियंत्रण का यह सिद्धांत वस्तुतः लोकतंत्र की आत्मा है.
महतो ने कहा कि इस क्रम में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के संदर्भों को मैं विशेष रूप से उल्लेखित करना चाहता हूं, जिसे वहां के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था- जिसके पास पैसा है, उसी के पास शक्ति है. भारतीय संदर्भ में राज्य और राष्ट्र के धन अथवा सार्वजनिक वित्त पर नियंत्रण क्रमशः राज्य विधानमंडल और संसद द्वारा रखा जाता है.
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विधानसभा अध्यक्ष के संबोधन के दौरान भाजपा के सदस्य सदन के बीच में आकर बाबूलाल मरांडी को विपक्ष के नेता पद पर बैठाए जाने की मांग को लेकर हंगामा करते रहे. इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने नारे भी लगाए, तथा धरना पर भी बैठे. हालांकि सभाध्यक्ष ने उन्हें समझाने का लगातार प्रयास किया और कहा कि उचित समय पर वे इसका निर्णय लेंगे.