रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन भाजपा विधायकों ने बाबूलाल मरांडी को प्रतिपक्ष के नेता के रूप में स्पीकर द्वारा मान्यता नहीं दिए जाने पर सदन में जमकर शोर-शराबा किया.
सदन की कार्यवाही शुरू होने पर भाजपा विधायक विरंची नारायण ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि कहा कि बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया है, इसलिए सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के नाते उन्हें प्रतिपक्ष की सीट आवंटित की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. इसके बाद विपक्ष के विधायक हंगामा करने लगे. विधायकों ने मरांडी को प्रतिपक्ष का नेता घोषित करने की मांग पर नारेबाजी शुरू कर दी. भाजपा विधायक वेल में आकर धरना में बैठ गए. भाजपा विधायक जय श्री राम और भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे.
विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता को सदन में आजसू विधायक सुदेश महतो के बगल की सीट दी गयी थी. विपक्षी सदस्यों को शांत कराते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वे न्याय करेंगे, इस मामले में वह अपनी बातें कहेंगे. फिलहाल विधायक अपनी सीट पर चले जाए. लेकिन विपक्षी विधायक मानने के लिए तैयार नहीं थे.
सदन में करीब 20 मिनट तक अव्यवस्था बनी रही. शोर-शराबे के बीच ही स्पीकर महतो ने अपना भाषण दिया. स्पीकर का कहना था कि अभी मामला आया है वह सभी पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं.
वहीं विपक्ष के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि बाबूलाल मरांडी को भी नेता प्रतिपक्ष होने के कारण कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में चर्चा होनी चाहिए. सत्ता पक्ष की ओर विधायक इरफान अंसारी, दीपिका पांडे सिंह और उमाशंकर अकेले भी भाजपा विधायकों का विरोध करते हुए वेल में घुस गये. इनका कहना था कि पहले भाजपा ने भी दलबदल का मामला पांच वर्षों तक लटकाये रखा था, अभी तुरंत न्याय चाहते हैं.
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मंत्री मिथिलेश ठाकुर का कहना था कि स्पीकर का अधिकार है, इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए. भाजपा ने दलबदल के मामले को पिछली सरकार में लटकाया था.