“बदरा छाए के झूले पड़ गए हाय कि मेले लग गई मच गई धूम रे के, आया सावन झूम के आया सावन झूम के”
रांची: आषाढ़ मास की तपती धूप और गर्मी के बाद हम सभी को सावन का इंतजार रहता है. सावन के महीने में चारों तरफ हरियाली छा जाती है मानो प्रकृति ने फिर से जन्म लिया हो, और सृष्टि का फिर से निर्माण हो रहा हो, पूरा वातावरण झूमने लगता है, प्रकृति फिर से सुंदर हो जाती है, सब को लुभाने लगती है. मनभावन सावन का रंग-रूप कितना लुभावना होता है, यह कौन नहीं जानता बरखा की रिमझिम मादक धुन से सभी की अंतरात्मा लहलहा उठता है. उदास मन झूम झूम कर गा उठता है, ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने अठखेलियों में डूब जाने का नेवता दिया हो.
सावन के महीने में शिव को कैसे भूल सकते हैं शिव के भक्ति हमें प्रेम का संदेश देती है.
गौरी ने भी शिव से प्रेम किया था, उन्हें पाने के लिए उन्होंने वन में जाकर कठोर तपस्या की. इसी सावन के महीने में फिर से शिव और पार्वती का मिलन हुआ था. हमारे संस्कृति में शिव और पार्वती को प्रेम का प्रतीक मानते हैं. इसलिए सावन के महीने में शिव और पार्वती की पूजा करने का प्रचलन है. सभी स्त्रियां शिव जैसा पति चाहती हैं, ताकि उनका जीवन भी हरा भरा हो. स्त्रियो का सावन शब्द के साथ बहुत गहरा रिश्ता है.
सावन में उनका मन इतना खुश रहता है कि इस मास का वह भरपूर आनंद उठा लेना चाहती हैं. सावन शब्द का स्त्रियों से भला क्या संबंध है. इस पर थोड़ा रोशनी डालें. अब शब्दों पर ध्यान देंगे शिव ,शक्ति, संसार, समाज, शिक्षा, संस्कृति, सभ्यता, सजना ,सवरना, साजन, सनम,संतान यह सभी शब्द “स” अक्षर से शुरू होते हैं और सावन शब्द भी “स” अक्षर से शुरू होता है अब आप सोचेंगे कि इन शब्दों से सावन का ऐसा क्या रहस्य है,.
तो रहस्य यह है कि जब कोई स्त्री जन्म लेती है तब इस संसार में आने के बाद उसे शिक्षा दिया जाता है.
शिक्षा ,संस्कार और संस्कृति का पाठ दिया जाता है ऐसी शिक्षा दी जाती है कि तुम दूसरे के घर यानी उसको ससुराल में साजन के साथ एक समाज बनाना हैं. वहां उसे वह सभी कुछ मिलता है जैसे साजन सजना सजना सैया सास-ससुर संतान और स्त्रियों का जीवन तो इन्हीं सब चीजों से परिपूर्ण होता हैऔर वह एक नए समाज का निर्माण करती है.
सावन को हम हरियाली का प्रतीक मानते हैं स्त्री भी अपने जीवन में हरियाली ही तो चाहती है शायद इसलिए श्रस सावन के इस रूप को अपनाकर भरपूर आनंद लेते हुए बारिश की फुहारों की झड़ी समान मन के उदगार को व्यक्त करते हुए अपने आने वाले समय देते हैं इन्हीं पलों को अपने जीवन के शक्ति मान कर मन का मोर नाचने लगता है.