मुंबई: शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की जरूरत देश को थी, लेकिन साथ ही तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी ने राज्यों के जीएसटी हिस्सेदारी के बारे में कुछ नहीं बताया कि वह कब तक मिलेगी. राज्यों की जीएसटी हिस्सदारी के बारे में पीएम को बात करनी चाहिए थी.
शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कयांडे ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित महाराष्ट्र को जीएसटी की एक बड़ी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए.
महाराष्ट्र में शिवसेना की सहयोगी एनसीपी ने पीएम मोदी के राहत पैकेज के ऐलान पर तंज कसते हुए कहा कि पैकेज का ऐलान उसी तरह से है जैसे 2015 में विधानसभा चुनावों के दौरान बिहार के लिए पीएम मोदी ने घोषणा की थी, लेकिन आज भी बिहार को उसका इंतजार है. वह अभी तक नहीं दिया गया है.
बता दें, लॉकडाउन से प्रभावित भारत की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए पीएम मोदी ने एक पैकेज का ऐलान किया है. जिसमें मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की गई है. पीएम ने बताया कि प्रमुख क्षेत्रों में सरकार की हालिया घोषणाओं को संयुक्त रूप से जोड़ा गया. इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक ने जो हालिया राहत की बात की है उसके बारे में भी बताया.
शिवसेना की प्रवक्ता ने कहा कि पीएम को राज्यों के जीएसटी की हिस्सेदारी पर बात करनी चाहिए थी, जो उन्होंने नहीं की. शिवसेना ने पीएम केयर फंड की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह सूचना के अधिकार के तहत नहीं है. पीएम को इसके बारे में भी बात करनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र जैसे सबसे अधिक प्रभावित राज्य को अधिक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए. मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है. हमें उम्मीद है कि वे महाराष्ट्र को अधिक (पैसा) देंगे और राज्य को जीएसटी का हिस्सा देंगे.
कयांडे ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को यह बताना चाहिए था कि लॉकडाउन के चौथे चरण को किस तरह से लागू किया जाएगा.
महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, “देखते हैं कि राहत पैकेज किस तरह से सामने आता है. हम विस्तृत विवरण का इंतजार करेंगे. लेकिन इसे बिहार के पैकेज की तर्ज पर नहीं आना चाहिए.”
गौरतलब है कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान 1.25 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन विपक्षी दलों ने सवाल किया था कि यह वास्तव में कितना था. मलिक ने कहा, “यह एक अलग पैकेज होना चाहिए. इसका सही तरीके से भुगतान किया जाना चाहिए.