रांची: बंधु तिर्की ने कहा कि 8 अक्टूबर 2020 को NIA द्वारा रांची से 84 वर्षीय स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी अत्यंत निंदनीय है. स्टेन स्वामी दशकों से झारखंड में आदिवासी-मूलवासियों के जन अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे हैं. वे जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के संवैधानिक हक के लिए अडीग रहे हैं.
वे विस्थापन और कॉर्पोरेट द्वारा आदिवासियों के संसाधनों की लूट के विरुद्ध मुखर रहे हैं. पिछली भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई लैंड बैंक नीति का उन्होंने पुरजोर विरोध किया था. आदिवासी-मूलवासियों की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था ग्राम सभा में उनका पूर्ण विश्वास है.
उन्होंने कहा कि स्टेन स्वामी को एक फर्जी केस में फंसा कर परेशान करना और गिरफ्तार करना केंद्र की भाजपा सरकार के एजेंडा को बेनकाब करता है. मोदी सरकार को वैसे सभी लोगों से समस्या है जो आदिवासी-दलित और वंचितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं और उसकी जन विरोधी नीतियों पर सवाल करते हैं.
उन्होंने कहा कि एक तरफ केंद्र की भाजपा सरकार लगातार आदिवासी-मूलवासियों के जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक संसधानों पर हमला कर रही है और दूसरी ओर इस हमले के विरुद्ध सवाल करने वालों को झूठे मुकदमों में फंसा कर परेशान कर रही है.
आदिवसियों के अधकारों के पक्ष में लिखने और बोलने वाले स्टेन स्वामी पर भाजपा सरकार द्वारा “अर्बन नक्सल” होने का आरोप लगाना भी इसका एक उदहारण है. स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी झारखंड के आदिवासी-मूलवासियों के अधिकार पर हमला है.
यह भी चिंताजनक है कि NIA रात के अंधेरे में आकर, बिना राज्य सरकार की सहमती के, झारखंडियों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले एक इंसान को उठाकर ले गयी.
उन्होंने कहा कि मैं स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी का पूर्ण विरोध करता हूं और केंद्र सरकार से मांग करता हूं कि उनके विरुद्ध भीमा-कोरेगांव के फर्जी केस को तुरंत बंद करे और उन्हें अविलंब रिहा करे.
साथ ही, NIA की नियमावली में संशोधन कर यह सुनिश्चित किया जाए कि वह संबंधित राज्य सरकार की सहमती के बिना किसी प्रकार की कार्यवाही उस राज्य में न कर सके.