- ऑनलाइन तरीके से दी जायेगी मान्यता
- खेल के मैदान में चहारदीवारी बनाना जरूरी, स्कूल का सेल डीड होना जरूरी
- मीडिल स्कूल की संरचना सीबीएसइ के नार्मस के अनुसार होना आवश्यक
- उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित होगी जिला स्तरीय कमेटी
संवाददाता
रांची: राज्य सरकार ने निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने संबंधी नियमावली में संशोधन किया है. स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की तरफ से इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. राजधानी के विकास भवन सभागार में सोमवार को जिला शिक्षा अधिकारी की अध्यक्षता में सभी निजी विद्यालयों, अल्पसंख्यक विद्यालयों और अनुदान पानेवाले विद्यालयों की बैठक हुई.
बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी कमला सिंह ने बताया कि संशोधन के हिसाब से अब जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति ही मान्यता देने पर निर्णय लेगी. उन्होंने बताया कि स्कूल खोलने के लिए अब विद्यालय के नाम से सेल डीड होना जरूरी है. जो मान्यता के शर्तों को पूरा करेंगे उनको मान्यता प्रदान की जाएगी. यह डीड कम से कम 30 वर्षों का होना चाहिए. मध्य विद्यालय के लिए शहरी क्षेत्र में 75 डिसमील और ग्रामीण इलाके में एक एकड़ जमीन होना जरूरी है.
पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक की शिक्षा के लिए मान्यता लेने के लिए शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के प्रावधानों का अनुपालन करना जरूरी है. सभी स्कूलों के प्राचार्यों को बताया गया कि मान्यता लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन लिये जायेंगे. कक्षा एक से लेकर पांचवीं तक के लिए आवेदन शुल्क 12,500 रुपये देने होंगे.
निरीक्षण शुल्क के रूप में 25 हजार सरकारी खाते में जमा करना होगा। विद्यालय के नाम से एक लाख रुपये का फिक्सड डिपाजिट करना होगा. मान्यता प्रदान करने के लिए सोसाइटी, प्रबंध समिति का निबंधन जरूरी किया गया है. 30 छात्रों पर एक शिक्षक के होने की बातें प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी की गयी है.
मध्यविद्यालय में 200 बच्चों पर पांच शिक्षक और दो सौ से अधिक बच्चों के रहने पर शिक्षकों की संख्या 40 तक रहने की जरूरत पर बल दिया गया है. सभी स्कूलों की चहारदीवारी पर सीसीटीवी, खेल का मैदान, थ्री स्टार रेटिंग पर पेयजल की सुविधा, रनिंग वाटर की सुविधा, वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा, आरटीइ के हिसाब से टेट प्रशिक्षित शिक्षकों का होना अनिवार्य किया गया है. शिक्षण के लिए एनसीइआरटी की पुस्तकों का होना भी जरूरी किया गया है. विद्यालयों में शिक्षण शुल्क के निर्धारण पर भी चर्चा की गयी.