नई दिल्ली: एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) भुगतान को लेकर संघर्ष कर रहींटेलीकॉम कंपनियों को मोदी सरकार के पूर्व वित्त सचिव का साथ मिला है. पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने अपने ब्लॉग में लिखा कि सरकार को AGR के तहत मूल राशि के भुगतान को लेकर वन टाइम सेटलमेंट प्लान की पेशकश करनी चाहिए. इसके साथ ही ब्याज और जुर्माने से छूट देनी चाहिए.
गर्ग के मुताबिक देश में टेलीकॉम संकट केवल एजीआर संबंधित मसलों तक सीमित नहीं है. उन्होंने लिखा है, ”लाइसेंस समझौतों के अनुसार एजीआर परिभाषा के तहत टेलीकॉम कंपनियों (परिचालन और समाधान के दायरे में आईं दोनों कंपनियों) को मूल राशि के भुगतान के लिए वन टाइम सेटलमेंट प्लान की पेशकश की जानी चाहिए. इसमें ब्याज और जुर्माने से छूट मिलनी चाहिए.”
इससे पहले भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील मित्तल ने भी टेलीकॉम सेक्टर के संकट का जिक्र किया है. हाल ही में उन्होंने कहा कि बीते साढ़े तीन साल से टेलीकॉम सेक्टर संकट में है. यह इंडस्ट्री सरकार के डिजिटल एजेंडा और देश के लिए व्यापक महत्व रखता है. ऐसे में सरकार को यह देखने की जरूरत है कि इस क्षेत्र को किस प्रकार मजबूत बनाया जा सकता है.
दरअसल, कई साल पुराने विवाद में टेलीकॉम कंपनियों को सरकार का एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाया देना है. टेलीकॉम कंपनियों पर 1.47 लाख करोड़ से अधिक का बकाया बनता है. इसमें भारती एयरटेल पर 35 हजार करोड़, वोडाफोन-आइडिया पर 53,000 करोड़, टाटा टेलिसविर्सिज पर 13,800 करोड़और बीएसएनएल पर 4,989 करोड़ के अलावा एमटीएनएल पर 3,122 करोड़ रुपये का बकाया है. इस बकाये में एयरटेल ने 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. वहीं वोडा-आइडिया ने 2500 करोड़ रुपये दिए हैं.