रांची: नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री का पूजन किया जाता है. मान्यता है कि शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं. नवरात्रि में शैलपुत्री पूजन का विशेष महत्व है. हिन्दू् पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इनके पूजन से मूलाधार चक्र जाग्रत हो जाता है. कहते हैं कि जो भी भक्त श्रद्धा भाव से मां की पूजा करता है उसे सुख और सिद्धि की प्राप्ति होती है.
कलश स्थापना का शुभ समय
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 24 मार्च दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है, जो 25 मार्च दिन बुधवार को शाम 05 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. बुधवार सुबह कलश स्थापना के लिए 58 मिनट का शुभ समय प्राप्त हो रहा है. आप सुबह 06 बजकर 19 मिनट से सुबह 07 बजकर 17 मिनट के मध्य कलश स्थापना कर सकते हैं.
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कौन हैं मां शैलपुत्री?
पौराणिक कथा के अनुसार मां शैलपुत्री अपने पिछले जन्म में भगवान शिव की अर्धांगिनी (सती) और दक्ष की पुत्री थीं. एक बार जब दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन कराया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया, परंतु भगवान शंकर को नहीं बुलाया गया. उधर, सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो रही थीं. शिवजी ने उनसे कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है लेकिन उन्हें नहीं, ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है. सती का प्रबल आग्रह देखकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी. सती जब घर पहुंचीं तो वहां उन्होंने भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव देखा. दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक शब्द कहे. इससे सती के मन में बहुत पीड़ा हुई. वे अपने पति का अपमान सह न सकीं और यज्ञ की अग्नि से स्वयं को जलाकर भस्म कर लिया. इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ को विध्वंस कर दिया. फिर यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं.
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कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा
– नवरात्रि के पहले दिन स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.
– शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने के साथ व्रत का संकल्प लिया जाता है.
– कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री का ध्यान करें.
– मां शैलपुत्री को घी अर्पित करें. मान्याता है कि ऐसा करने से आरोग्य मिलता है.
– नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री का ध्यान मंत्र पढ़ने के बाद स्तोत्र पाठ और कवच पढ़ना चाहिए.
– शाम के समय मां शैलपुत्री की आरती कर प्रसाद बांटें.
– फिर अपना व्रत खोलें.
इस मंत्र का करें जाप
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
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