रांची: आज का पंचांग, आपका दिन शुभ मंगलमय हो.
●कलियुगाब्द……5122
●विक्रम संवत्….2077
●शक संवत्…….1942
●मास……………चैत्र
●पक्ष……………शुक्ल
●तिथी………प्रतिपदा
संध्या 05.27 पर्यंत पश्चात द्वितीया
●रवि………उत्तरायण
●सूर्योदय..प्रातः 06.26.35 पर
●सूर्यास्त..संध्या 06.40.12 पर
●सूर्य राशि……..मीन
●चन्द्र राशि…….मीन
●नक्षत्र………..रेवती
दुसरे दिन प्रातः 07.06 पर्यंत पश्चात अश्विनी
●योग……………ब्रह्मा
दोप 03.26 पर्यंत पश्चात इंद्र
●करण…………….बव
संध्या 05.27 पर्यंत पश्चात बालव
●ऋतु…………..बसंत
●दिन…………..बुधवार
आंग्ल मतानुसार :-
25 मार्च सन2020 ईस्वी ।
तिथि विशेष :-
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा :-
हिन्दू पंचांग के बारह महीनों के क्रम में पहले चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वर्ष भर की सभी तिथियों में इसलिए सबसे अधिक महत्व रखती है क्योंकि मान्यता के अनुसार इसी तिथि पर ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की.इस तिथि को प्रथम स्थान मिला, इसलिए इसे प्रतिपदा कहा गया है.
जब ब्रह्मा ने सृष्टि का प्रारंभ किया उस समय इसे प्रवरा तिथि सूचित किया था, जिसका अर्थ है सर्वोत्तम.
इस अर्थ में यह वर्ष का सर्वोत्तम दिन है जो सिखाता है कि हम अपने जीवन में सभी कामों में, सभी क्षेत्रों में जो भी कर्म करें, उनमें हमारा स्थान और हमारे कर्म लोक कल्याण की दृष्टि से श्रेष्ठ स्थान पर रखे जाने योग्य हों.
इसे संवत्सर प्रतिपदा भी कहते हैं. सिंधी समाज का पर्व चेटीचंड भी वर्ष प्रतिपदा के अगले दिन शुरू होता है. शुक्ल पक्ष में चांद अपने पूरे सौन्दर्य के साथ आकाश में विराजमान होता है. इसलिए चैत्रचंद्र का देशज रूप हुआ चैतीचांद और फिर सिंधी में हुआ चेटीचंड.
महाराष्ट्र में यह पर्व गुड़ी पाड़वा ( गुढी पाड़वा) के नाम से मनाया जाता है. वैसे नवसंवत्सर के लिए गुड़ी पड़वा अब समूचे देश में सामान्य तौर पर जाना जाने लगा है.
महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने प्रतिपादित किया है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से दिन-मास-वर्ष और युगादि का आरंभ हुआ है.
नववर्ष प्रतिपदा मनाने के महत्वपूर्ण पौराणिक तथ्य :
●1. वासंती नवरात्री का प्रारम्भ.
●2. नवसंवत्सर आरम्भ.
●3. राम राज्याभिषेक.
●4. युधिष्ठिर राज्याभिषेक.
●5. झुलेलाल जयंती.
●6. स्वामी दयानंद जन्मदिवस.
●7. गुरु अंगददेव जी का जन्मदिवस.
●8. ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना.
●9. आद्यासरसंघचालक श्री केशव बलिराम हेडगेवार जी का जन्मदिवस.
●10. महाराज विक्रमादित्य द्वारा नूतन संवत्सर प्रारंभ.
राहुकाल :-
दोपहर 12.32 से 02.03 तक ।
दिशाशूल :-
उत्तरदिशा – यदि आवश्यक हो तो तिल का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें.
★ शुभ अंक…………7
★ शुभ रंग…………हरा
चौघड़िया :-
प्रात: 06.28 से 07.59 तक लाभ
प्रात: 07.59 से 09.30 तक अमृत
प्रात: 11.01 से 12.32 तक शुभ
दोप 03.33 से 05.04 तक चंचल
सायं 05.04 से 06.35 तक लाभ
रात्रि 08.04 से 09.33 तक शुभ ।
आज का मंत्र :-
।। ॐ गजेशाय नम: ।।
सुभाषितानि :-
पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः
स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।
नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहाः
परोपकाराय सतां विभृतयः ॥
अर्थात :- नदियांं अपना पानी खुद नहीं पीती, वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते, बादल (खुद ने उगाया हुआ) अनाज खुद नहीं खाते. सत्पुरुषों का जीवन परोपकार के लिए ही होता है.
आरोग्यं :-
केले के औषधीय गुण :-
ब्लड शुगर का स्तर कम करे :- केले के औषधीय गुण में ब्लड शुगर के स्तर को कम करना शामिल है. केला पेक्टिन का समृद्ध स्रोत है, यह एक प्रकार का फाइबर है. इसके अलावा केले में रेजिसटेंट स्टार्च होता है, जो घुलनशील फाइबर की तरह कार्य करता है और पाचन में बहुत ही सहायता करता है. पेक्टिन और रेजिसटेंट स्टार्च ब्लड शुगर का स्तर कम कर सकता है और आपके पेट को खाली करके भूख को कम कर सकता है.