लातेहार(चंदवा): वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जहां आम लोग परेशान हैं, वहीं पशुओं में भी अज्ञात रोग फैलने लगा है, इससे पशुपालकों मे हड़कंप मचा हुआ है, माकपा नेताओं ने पशु पालक किसानों से मुलाकात कर इस संबंध में जानकारी हासिल की.
पशुपालक किसान मजनु साव, राजमनी देवी, नसीम खान, साजीद खान, सहजुदीन मियां, निरंजन ठाकुर, नंदलाल ठाकुर व अन्य ने बताया कि करीब पंद्रह दिन से पशुओं में यह बिमारी फैली हुई है, पहले मवेशियों के शरीर में चेचक की तरह निकलता है, फोड़ा फुंसी की तरह होकर फुट जाता है, जहां फोड़ा होता है वहां से मांस गलकर गिर जाता है, उसके बाद जख्म होकर शरीर में गड्ढा हो जाती है, ठीक होने में सप्ताह लग रहा है, लॉकडाउन में अर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पशुपालक किसान अपने बिमार पशुओं का ईलाज भी नहीं करा पा रहे हैं.
चतरा लोकसभा प्रत्याशी सह माकपा नेता अयुब खान, ग्राम प्रधान पचु गंझु, साजीद खान, जहांगीर खान ने कहा कि पशुओं का टिकाकरण समय पर नहीं होने से क्षेत्र में मवेशियों मे बिमारी फैल गई है, इससे आए दिन पशुओं की मौत हो रही है, पशु पालकों की परेशानी और चिंताएं बढ़ गई है, जिले की पशुपालन विभाग बेखबर है, अब भी बड़ी संख्या में अज्ञात बिमारी से पशु ग्रसित हैं.
प्रत्येक वर्ष बरसात शुरू होने के ठीक पहले करीब मई माह में पशुपालन विभाग के चिकित्सक एवं कर्मीयों द्वारा खुरहा – चपका आदि बीमारी के लिए रोग प्रतिरोधी टीकाकरण पशुओं का किया जाता था. पशुपालकों के घर घर जाकर इससे बिमारी नहीं फैलती थी, लेकिन इस बार टीकाकरण नहीं होने से पशुओं में बिमारी फैल गई है.
राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार ने पशुओं में होने वाली खुरहा-चपका आदि बिमारीयों की रोकथाम एवं उन्मूलन को लेकर राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत टीकाकरण अभियान तत्काल चलाने के निर्देश दिए हैं.
इसके बावजूद भी जिले में टीकाकरण की शुरुआत नहीं हो पाई है, अलौदिया निवासी पशुपालक किसान बिनोद कुमार ठाकुर की एक गाय की मौत इसी बीमारी से हो गई है, मृत गाय की किमत करीब चौदह पंद्रह हजार बताया जाता है, कामता के पतरा टोली में एक सप्ताह के अंदर तीन दर्जन से अधिक बकरी की मौत हो चुकी है और मरने का सिलसिला थमा नहीं है.
अभी भी मवेशी और बकरी इसी रोग से ग्रस्ति हैं, और कई गाय बैल बकरी मरने के कगार पर हैं, अयुब खान ने उपायुक्त जिशान कमर एवं जिला पशुपालन अधिकारी से चिकित्सकों की टीम जिले की गांव गांव में भेजकर बीमारी का पता करवाकर पशुओं का उपचार एवं टीकाकरण कराने, मृत पशुओं की मुआवजे की मांग की है, ताकि पशुपालक किसानों को नुकसान न हो साथ ही मृत पशुओं की भरपाई हो सके.