दिल्ली: पूर्व भारतीय क्रिकेटर वसीम जाफर पर क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (CAU) के अधिकारियों ने धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया था. साथ ही आरोप लगाया कि उन्होंने बायो-बबल में ट्रेनिंग के दौरान कैंप में नमाज के लिए मौलवियों को भी बुलाया था. इन आरोपों को जाफर ने खारिज कर दिया है.
जाफर ने मंगलवार को ही उत्तराखंड टीम के कोच पद से इस्तीफा दिया है. उन्हें बतौर फीस 55 लाख रुपए देकर एक साल के लिए कोच बनाया गया था. उनके रहते पिछले ही महीने घरेलू टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली टी-20 टूर्नामेंट में उत्तराखंड टीम ने 5 में से 4 मैच हारे थे.
CAU के सचिव महिम वर्मा और सिलेक्शन कमेटी के चेयरमैन रिजवान शमशाद ने आरोप लगाया था कि जाफर ने कुणाल चंदिला की जगह इकबाल अब्दुल्ला को कप्तान बनाया. इकबाल को आगे बढ़ाने के लिए ऊपर बल्लेबाजी कराई, जबकि ओपनर चंदिला को मिडिल ऑर्डर में भी बल्लेबाजी कराई.उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग कैंप में मौलवियों के आने के बाद जाफर ने टीम का स्लोगन ‘राम भक्त हनुमान की जय’ भी बदलवा दिया. उत्तराखंड टीम पिछले साल से ही ‘राम भक्त हनुमान की जय’ स्लोगन खेल रही थी. अब इसे ‘गो उत्तराखंड’ करा दिया गया.
इन आरोपों पर जाफर ने न्यूज एजेंसी से कहा, ‘मैंने उनसे (महिम और शमशाद) कहा था कि टीम का कप्तान जय बिष्ट को बनाया जाना चाहिए. वह यंग प्लेयर था. वे तैयार हो गए थे, लेकिन टूर्नामेंट के लिए पहुंचने के बाद उन्होंने (महिम और शमशाद) कहा कि इकबाल को कप्तान बनाया जाना चाहिए. तब भी मैंने हां कहा और इकबाल को कप्तान बनाया.’उन्होंने कहा, ‘यह (आरोप) बहुत ही दुखद हैं. मैंने सबकुछ अपने ईमेल में लिखकर दिया था. जाहिर है कि उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था. वे इस मामले को धार्मिक रंग देते हुए मेरे खिलाफ गलत आरोप लगा रहे हैं.’