नीता शेखर,
यह कहानी है पांच दोस्तों की पांचों दोस्त एक ही मोहल्ले में रहते थे. संजोग ऐसा था कि उनका कॉलेज भी एक ही था, उन पांचों दोस्तों की काफी अच्छी पटती थी. उनके नाम भी लगभग मिलते-जुलते थे. राजू, संजू, सोनू, मोनू और बबलू. पढ़ने में सभी अच्छे थे दोस्ती ऐसे की पांचों ने सोच लिया था कि हम कभी भी काम करेंगे तो साथ ही पांचों मिलकर ही करेंगे.
इसलिए उन्होंने मिलकर बिजनेस शुरू किया. देखते-देखते उनका बिजनेस अच्छा चल पड़ा था. सारे लोग उन लोगों की तारीफ किया करते थे. कभी भी उन लोग को देखकर ऐसा नहीं लगता था कि वह भाई नहीं है.
पांच साल बीतते बीतते उनके बिजनेस ने फैक्ट्री का रूप ले लिया था. अब उनकी कमाई भी बहुत अच्छी हो चली थी. सब ने सोचा क्यों ना हम सभी एक साथ ही जमीन लेकर मकान बनाए, ताकि हम उम्र भर साथ रहे.
यह सबको पसंद आया. उन्होंने जमीन खरीदकर एक ही कैम्पस में मकान बना लिया. मकान बनने के बाद उन्होंने शादी कर ली. सब काफी खुश थे. वो लोग अक्सर चर्चा करते… हम सब ने मिलकर कितना अच्छा काम किया.
औरतों की भी आपस में बहुत पटती थी, देखते देखते वो लोग काफी धनी भी हो गए. सभी के बच्चे भी हो गए. पांच दोस्तों से कहानी शुरू हुई थी. आज उनकी जिंदगी यूं ही हंसते हंसते कट रही थी.
लेकिन दिन हमेशा एक जैसा नहीं रहता. एक दिन पांचों दोस्त बैठकर बात कर रहे थे. अचानक उनलोगों के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई. वो एक दूसरे को समझने को तैयार ही नहीं थे. काफी समय के बाद वह शांत हुए और अब उनके मन में थोड़ी खटास आ गई थी. हालांकि बिजनेस पर कुछ असर नहीं हुआ था, लेकिन मन में थोड़ी सी कड़वाहट आ गई थी.
जो दोस्त कभी एक साथ रहा करते थे. आज वह सब एक दूसरे से कन्नी काटने लगे थे. देखते देखते पांचों दोस्त अलग हो गये. जो एक दूसरे पर जान छिड़कते थे, आज एक दूसरे के दुश्मन बन गये थे.
एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में आपस में ही कंपीटीशन करने लगे. संजू काफी आगे निकल गया था. सोनू, मोनू और राजू थोड़ा पीछे रह गए. दूसरे दोस्त ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे.
कहते हैं ना… विनाश काले विपरीत बुद्धि. जब समय खराब हो तो समय भी साथ नहीं देता और बुद्धि भी… अब बबलू हर समय इसी फिराक में रहता है कि कब मौका मिले कि मैं उनसे बदला ले सकूं.
क्योंकि अब उसे लगने लगा था इन चारों ने मेरे साथ धोखा किया. 1 दिन वो सबसे मिला और कहा कि देखो दोस्तों जो हुआ.. सो हुआ… हम उसे भूल जाते है. अपने पुराने दिनों की तरफ चलते है. 4 दिन की जिंदगी है. हमने छोटी सी बात के लिए दोस्ती भी खत्म कर लिया.
काफी समझाने बुझाने के बाद वह लोग मान गए. बबलू ने कहा कि आज बहुत दिन बाद खुशियां लौटी है. चलो हम सब मिलकर मस्ती करते हैं, फिर उसने उन चारों को दावत पर बुलाया. सभी दोस्त मस्ती कर रहे थे, तभी बबलू ने कहा दोस्तों में 5 मिनट में आता हूं, फिर वह चला गया. बाकी चारों दोस्त मस्ती में लीन थे.
अचानक बंदूक चलने की आवाज आई. इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते बबलू ने चारों को गोली मार दी. वहीं सभी ढेर हो गए. बबलू का दिमाग खराब हो चुका था, उसके बाद उसने खुद को गोली मार लिया.
आज गया था उस घर में जहां कभी दुखों का साया भी नहीं भटकता था परन्तू वहां आज वहां मनहूसियत ने जगह ले लिया.
अब आप सभी लोग कहते थे…. अरे जिन लोगों ने कभी एक दूसरे को अपशब्द वहीं कहते थे आज उन सभी का एक साथ अर्थी उठ रही है.
कभी मैंने सोचा भी नहीं था कि दोस्ती भी उन्होंने निभाई तो एक हद तक…. जो सभी उनकी मिसाल दिया करते थे और दुश्मनी भी निभाई तो उस हद तक जो एक दूसरे को मार कर अभी भी साथ निकल रहे है.