रांची: बहुत साल पहले किसी अदृश्य शक्ति ने इस संसार की रचना की. उसी अदृश्य शक्ति ने इस मानव रूपी जीव की भी रचना की जिसको नाम दिया गया मनुष्य. उसी मनुष्य ने उस अदृश्य शक्ति का नाम दिया परमात्मा जो परमधाम में रहता है. मनुष्य की आंतरिक शक्ति का नाम दिया गया था आत्मा.
कहते हैं कि आत्माएं कभी नहीं मरती है. उसका बस एक शरीर से कांटैक्ट रहता है और वह कांटैक्ट पूरा होते ही वह शरीर को छोड़ दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाता है. जब परमात्मा ने इस संसार की रचना की और मनुष्य रूपी इंसान को जन्म दिया तो उसने उसके बहुत सारे रिश्ते नाते भी बना दिए. इन्हीं लोगों से परिवार, फिर समाज.
हम सब उसी परिवार और समाज के माया मोह के बंधन में बनते चले गए. लोग कहते हैं कि यह जीवन एक नाटक है और उसी नाटक में हम सब काम करते हैं. जब नाटक की शुरुआत होती है. पर्दा उठता है जब नाटक खत्म होता है पर्दा गिर जाता है.
यही जिंदगी का सत्य है और इस सत्य को हम सभी जानते हैं मगर फिर भी हम इस सत्य को नकारते हुए इससे दूर भागते हैं क्योंकि हम भूल जाना चाहते हैं इस सच्चाई को. हम जीना चाहते हैं उस पल को जो हमें ईश्वर ने दिया है. हम उसी भ्रम में रहना चाहते हैं और शायद यही सच भी है क्योंकि सच्चाईयों के साथ चलना बहुत मुश्किल होता है और आज हमारे देश की जो स्थिति है इसमें हम सबको मिलकर साथ देना है ताकि हम कदम से कदम मिलाकर चल सके और यह “करोना” नामक वायरस को भगा सके और इसके लिए जरूरी है कि हम घर में रहे और हम सभी को घर में रह के परिवार के साथ मस्ती करें.