दिल्ली: कोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम के लिए वर्क फ्रॉम होम के चलन में अब साइबर हमले के जोखिम में बढ़ोतरी हुई है. बड़े पैमाने पर लोग इंटरनेट के माध्यम से अपने घर से ही दफ्तर का काम कर रहे हैं. एलिया कंसल्टिंग के सीईओ दीपक भवनानी ने कहा कि वर्क फ्रॉम होम के कारण बड़ी व छोटी सभी प्रकार की कंपनियों के लिए साइबर सुरक्षा का जोखिम बढ़ा है.
कंपनियों के निजी आंकड़ों को कर्मचारी अपने घर से लैपटॉप या घर पर लगे पीसी से एक्सेस कर रहे हैं. संभव है उनमें उसी स्तर का फायरवाल या सिक्योरिटी सिस्टम न हो, जो ऑफिस वाले कंप्यूटर में होता है. इसे देखते हुए कंपनियों के प्रबंधन और आईटी अधिकारियों को अपने डाटा के सुरक्षा जोखिमों पर ध्यान देना होगा. उन्हें डाटा लॉस प्रीवेंशन प्रोसेस की समीक्षा करनी होगी क्योंकि आने वाले समय में इससे उनकी साख प्रभावित हो सकती है.
पालो अल्टो नेटवर्क्स के भारत और दक्षेस कारोबार के रीजनल वाइस प्रेसिडेंट अनिल भसीन ने कहा कि साइबर अपराधी कोरोना वायरस से जुड़ी दहशत का भी लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं. वे ई-मेल स्कैम, फिशिंग और रैंसमवेयर हमले को भी अंजाम दे रहे हैं. साइबर अपराधी कोरोना वायरस की ताजा स्थिति बताने के बहाने इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ई-मेल व मैसेज भेजते हैं. उपयोगकर्ता वायरस की ताजा स्थिति जानने के लिए इन्हें खोलते हैं. इनमें लिंक, पीडीएफ, एमपी4 या डॉक्स फाइल के बहाने डिजिटल वायरस वाले फाइल हो सकते हैं.
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टीएसी सिक्योरिटी के संस्थापक और सीईओ तृष्णीत अरोड़ा ने कहा कि साइबर अपराध के कुछ मामले दर्ज भी किए गए हैं. साइबर अपराधी फेक मैप ऑफर कर रहे हैं, जिनसे संक्रमित लोगों को ट्रैक किया जा सके. इसके लिए उपयोगकर्ता मैप जनरेट करने के लिए सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना होता है. जिससे साइबर सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है. उन्होंने कहा कि अभी साइबर सुरक्षा कंपनियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. अभी अलग तरह की साइबर गतिविधियों पर ध्यान दिया जाना चाहिए और तुरंत उस पर कदम उठाना चाहिए.