नीता शेखर,
बाहरी शक्ति से भी ताकतवर होती है मन की शक्ति. अगर इंसान अपने मन की शक्ति को मजबूत कर ले तो वो अपने लक्ष्य को जरूर पा लेता है.
रीना कितनी भोली और प्यारी थी. उसे पढ़ने का बहुत शौक था, पर उसकी गरीबी उसका मजाक उड़ा देती थी. रीना पढ़ लिख कर आईएस बनना चाहती थी. पर उसकी किस्मत उसका साथ नहीं दे रही थी.
उसके पिता जो भी जो भी कमाते उड़ा देता थे. मां क्या करती. मजबूरी में काम करना पड़ रहा था. उसने सोच लिया था कि चाहे कुछ भी हो मैं आगे जरुर पढुंगी. और जहां वो काम करती थी वहां पर एक “अम्मा दादी” रहती थी, जो शिक्षा विभाग में निदेशक थी.
उनकी आंखों ने भाफ लिया था कि रीना को पढ़ने लिखने का बहुत शौक है, क्योंकि उसे जब भी मौका मिलता वो पढ़ने बैठ जाया करती थी. उन्होंने पूछा कि तुम्हें पढ़ने का बहुत शौक है?
रीना ने कहा मैं पढ़ लिखकर आईएएस बनना चाहती थी. पर पेट भरने के लिए काम करना पड़ता है. हम गरीबों के सपने धरे रह जाते हैं. उसने अम्मा दादी से पूछा क्या गरीब होना गुनाह है?
क्या केवल आमिर के बच्चे पढ़ लिखकर अफसर बन सकते हैं. सवाल तो सही पूछा था मगर अम्मा दादी को जवाब देते नहीं बना. फिर उन्होंने इस बात को वहीं समाप्त कर दी. अम्मा दादी को रात भर नींद नहीं आई. सच है अगर कोई पढ़ना चाहता है और उसके पास सुविधा नहीं है, जहां सुविधा है वहां के बच्चे मौज मस्ती में डूबे हुए है. उन्होंने सोचते-सोचते अपने मन में कुछ निर्णय किया और सो गई.
सुबह जब आंख खुली एक नई रोशनी उनका स्वागत कर रही थी. उन्होंने घर के सभी सदस्यों को बुलाया और कहा देखो मैं अपने पेंशन के पैसे से रीना को पढ़ाना चाहती हूं. यह सब सुनकर सब को बड़ा आश्चर्य हुआ. उन्होंने अपनी पैसा लगाने की बात कही थी इसलिए कोई भी कुछ बोल नहीं पा रहा था.
अगले दिन उन्होंने रीना को अपने पास बुलाया और रीना से कहा देखो सारी खुशियां काम कैसे हो सकती है. तुम काम की चिंता मत करो. अगर तुम्हारा मन साफ हो, और ये सच है तो तुम पढ़ने की तैयारी करो और लक्ष्य है आगे बढ़ने का तो खाली हूं.
पढ़ाई लिखाई में अगर तुम कुछ पाना चाहती हो तो तुम्हें मेहनत करना होगा. लग रहा था जैसे आसमान में उसका नाम ओपन यूनिवर्सिटी करा दिया था. अब वह दिन में काम करती. और रात दिन पढ़ाई करती थी.
अब उसने अपने सपनों को पूरा करने का लक्ष्य तय कर लिया. फिर वह दिन रात एक कर दी. अपने लक्ष्य को पाने के लिए. समय भी आ गया था. क्या मैंने वादा किया था… क्या होगा या क्या नहीं. पता नहीं…
शाम हो गई तभी उसने देखा कि रिजल्ट आ गया है. उसका दिल जोरों से धड़क रहा था. बहुत ही डरते-डरते उसने रिजल्ट देखना शुरु किया. रिजल्ट देखते ही अचानक वह जोर से चिल्ला पड़ी. अम्मा दादी मुझे पूरे देश में पांचवां स्थान मिला. मारे खुशी के उसके आंख से आंसू निकल पड़े.
अम्मा दादी को देखते ही उनके पैरों पर गिर उसके पैर को छूते हुए बोली अम्मा यह सब आपकी दुआ का फल है. आप फरिश्ता हो आपने मेरी जिंदगी को संवार दिया. मैं आपका यह एहसान पूरी जिंदगी नहीं भूल पाऊंगी.
उसे लग रहा था गरीबी कोई पाप नहीं बल्कि. आप अपने लक्ष्य को पाना चाहते हैं तो बस आपको जरूरत है एक अम्मा दादी जैसी फरिश्तों की.
अगर ऐसे कई लोग मिल जाए तो गरीबों का भी जीवन सुधर जाएगा. फिर उसने अम्मा दादी से कहा अम्मा मुझे यह सब खुशियां आपकी वजह से मिला है. मैं भी अब आपकी तरह किसी गरीब बच्चे का भविष्य संवार दूंगी. बस आपका आशीर्वाद चाहिए. आज अम्मा ने प्यार से गले लगाया और खूब सारा आशीर्वाद दिया.
अमीर, गरीब किस्मत की बात है. बस अम्मा दादी जैसा कोई फरिश्ता मिल जाए तो बहुत ही गरीबों का भविष्य आज भी जरूर सुधर जाएगा. आज अम्मा को उससे मिलकर अपने -अपने आपको गर्व महसूस कर रही थी
सच ही कहा है बाहरी शक्ति से भी ज्यादा मन की शक्ति होती है. एक मन ही ऐसा है जो आदमी कंट्रोल कर ले तो जिंदगी का लक्ष्य प्राप्त हो जाता है.